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गंभीर समस्या बन गया है प्रदूषण

देश का छोटा-बड़ा हर शहर प्रदूषण की चपेट में है. लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं मिल रही है. इसका मुख्य कारण विकास के नाम पर कल-कारखानों व मोटर वाहनों का निर्माण, खनिज पदार्थों का उत्खनन और जंगलों की अंधाधुंध कटाई है. विकास और बेहतर यातायात के लिए सड़कों का निर्माण […]

देश का छोटा-बड़ा हर शहर प्रदूषण की चपेट में है. लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं मिल रही है. इसका मुख्य कारण विकास के नाम पर कल-कारखानों व मोटर वाहनों का निर्माण, खनिज पदार्थों का उत्खनन और जंगलों की अंधाधुंध कटाई है. विकास और बेहतर यातायात के लिए सड़कों का निर्माण जरूरी है, लेकिन इस काम के लिए पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई सही नहीं है. एक पेड़ काटने से पहले अन्य पेड़ कहीं लगाना जरूरी है.
ऐसा नहीं है कि हमें यह नहीं मालूम कि पेड़ों की कटाई का भविष्य पर क्या असर होगा. लोगों को रोजगार देने के लिए, देश के विकास के लिए कल-कारखानों की जरूरत है. विभन्न जरूरतें पूरी करने के लिए खनिजों का उत्खनन भी जरूरी है. लेकिन, हमारी जरूरतें बेवजह बढ़ रही हैं. वाहन जो पहले जरूरत थे, आज विलासिता के िलए इस्तेमाल हो रहे हैं.
इस बात से कौन अनभिज्ञ है कि कल-कारखानों और वाहनों से अत्याधिक मात्रा में कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है. इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इन जहरीली गैसों से देश में विभिन्न प्रकार के गंभीर रोग भी पनप रहे हैं. अब सवाल है कि पर्यावरण को दूषित होने से कैसे बचाया जाये, ताकि हम सब शुद्ध वातावरण में सांस ले सकें. चूंकि, विकास के लिए कल-कारखानों का होना भी जरूरी है.
अतः कल-कारखानों के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए. विकास कार्यों और पर्यावरण संरक्षण में सामंजस्य स्थापित किया जाना बेहद जरूरी है. लोगों को भी इस के महत्व को समझना होगा. इसके साथ ही इस विषय को स्कूल कॉलेज के पाठयक्रमों में भी शामिल करने की नितांत आवश्यकता है.
-वशिष्ठ कुमार हेंब्रम, रांची

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