सम प्रयासों को न बनायें विषम

प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या है. हमारा मुल्क भी इसके मकड़जाल में उलझा हुआ है. देश के प्राय: हर शहर की मुख्य समस्याओं में प्रदूषण सबसे ऊपर है. यह अलग बात है कि निशाना दिल्ली पर ज्यादा लगा है. दिल्ली के प्रदूषण पर लोगों की निगाहें उठने का कारण जितना सामाजिक है, उससे कम राजनीतिक नहीं है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2015 6:53 AM
प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या है. हमारा मुल्क भी इसके मकड़जाल में उलझा हुआ है. देश के प्राय: हर शहर की मुख्य समस्याओं में प्रदूषण सबसे ऊपर है. यह अलग बात है कि निशाना दिल्ली पर ज्यादा लगा है. दिल्ली के प्रदूषण पर लोगों की निगाहें उठने का कारण जितना सामाजिक है, उससे कम राजनीतिक नहीं है. शहरों को प्रदूषित करने में मुख्य रूप से धूल-धुआं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने की छोटी-सी कोशिश की है.
शंकाओं और सवालों में फंसा सम-विषम का गणित कितना सफल होगा, यह समय तय करेगा, मगर समस्याओं की आड़ में कुछ ‘सम’ प्रयासों को ‘विषम’ बना देना उचित नहीं होगा. गौर करें, तो संभावित दिक्कतों से बड़ी दिक्कतें हमारी खुद की खड़ी की हुई हैं. फिर भी, हम उन कदमों को चुनौती देने को क्यों आतुर हैं? सरकारें कुछ न भी करें, तो भी क्या हमारा जमीर हमें दुत्कारता नहीं? सहयोग नहीं कर सकते, कोई बात नहीं, सिर्फ विरोध ही तो न करें.
-एमके मिश्र, रांची

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