बिगड़ती छवि सुधारे पुलिस

हाल के दिनों में हुई घटनाओं से पुलिस की छवि धूमिल हो रही है. नक्सलियों द्वारा बच्चों को उठा ले जाने, प्रमुख अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज से 500 रुपये रिश्वत मांगने और कथित रूप से एक युवक को नक्सलियों के पोस्टर हटाने के दबाव में हुई उसकी मौत इसका ताजा उदाहरण है. हालात तो यह हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 11:35 PM
हाल के दिनों में हुई घटनाओं से पुलिस की छवि धूमिल हो रही है. नक्सलियों द्वारा बच्चों को उठा ले जाने, प्रमुख अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज से 500 रुपये रिश्वत मांगने और कथित रूप से एक युवक को नक्सलियों के पोस्टर हटाने के दबाव में हुई उसकी मौत इसका ताजा उदाहरण है.
हालात तो यह हो गये हैं कि हाइकोर्ट ने वरदी वापस करने की भी बात डीजीपी से कह डाली है. यदि पुलिसवाले कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से नहीं कर सकते है, तो बेहतर हो कि वे अपनी वरदी लौटा दें.
एक चोरी गयी बाइक को ढूंढ़ कर देने के लिए आपको 500 रुपये की रिश्वत देनी पड़े, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. इससे तो यही जाहिर होता है कि पुलिस अपना कर्तव्य का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं कर रही है. उसे अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए भी रिश्वत चाहिए.
-मो अलीषानी, चतरा

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