अब कहां विद्या ददाति विनियम

बीते दो दिनों से प्रतिष्ठित विद्यालयों के सैकड़ों छात्र व छात्रा सड़कों पर निकले. डीजे की धुनों पर बीच सड़कों पर यूं मदहोश होकर उनका नृत्य करना और राहगीरों के साथ दुर्व्यवहार करना यह जताता है कि हमारे स्कूलों व काॅलेजों में दी जानेवाली शिक्षा की दिशा और दशा क्या है. आज स्कूलों व काॅलेजों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2015 1:41 AM

बीते दो दिनों से प्रतिष्ठित विद्यालयों के सैकड़ों छात्र व छात्रा सड़कों पर निकले. डीजे की धुनों पर बीच सड़कों पर यूं मदहोश होकर उनका नृत्य करना और राहगीरों के साथ दुर्व्यवहार करना यह जताता है कि हमारे स्कूलों व काॅलेजों में दी जानेवाली शिक्षा की दिशा और दशा क्या है.

आज स्कूलों व काॅलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर ‘कैट वाक’ होता हैं, छात्र-छात्राओं के साथ-साथ शिक्षक व शिक्षिकाएं भी ‘रैंप’ पर चलती हैं. मिस्टर (एक्स) और मिस (वाइ) प्रतियोगिताए होतीं हैं. अब तो स्कूलों व काॅलेजों में ना तो मुंशी प्रेमचंद, शरतचंद्र, दिनकर आदि जैसे महान साहित्यकारों व कवियों की रचनाओं पर आधारित कोई प्रतियोगिताएं होती दिखती हैं और ना ही हमारे आजादी के महानायकों की जयंती व पुण्यतिथि मनायी जाती है. आज सिनेमा, टीवी, प्रचार, मोबाइल फोन आदि के जरिये अश्लीलता परोसी जा रही है. आज इन्हीं माध्यमों के द्वारा अपने आदर्श का हम चुनाव कर रहे हैं. घर से लेकर स्कूल तक बस केवल एक ही शिक्षा दी जा रही है कि केवल खुद के बारे में सोचो, वैसी और उतनी ही शिक्षा लो, जिससे डिग्री मिल सके और पैसे कमाएं जा सके.

आज शिक्षा के व्यापारीकरण व इसकी नीतियों ने हमें एक विद्यार्थी (विद्या का अर्थ समझने वाला) से स्टूडेंट (Student) में बदल दिया. छात्र व छात्राओं को उनके पाठ्यक्रम में अच्छे साहित्य, लेख, कविताएं आदि पढ़ाया जाये, तो उनका बौद्धिक स्तर तो ऊंचा होगा ही साथ ही साथ इनके व्यवहार में विनम्रता भी आयेगी. स्कूलों व काॅलेजों में दी जानेवाली ‘विद्या’ सच में विद्यार्थियों को विन्रम बनाएं, उनके बौद्धिक स्तर को बढ़ाने के साथ उनमें त्याग, समर्पण व सदभावना के बीज बोएं, तो हमें पाठ्यक्रमों में प्रेमचंद रचित ईदगाह के हामिद, झबरा, बड़े भाई साहब आदि को फिर से एक बार जिंदा करना होगा.

Àमनीष कुमार, जमशेदपुर

Next Article

Exit mobile version