सकारात्मक निर्णय

पड़ोसी देश नेपाल में बीते तीन महीने से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध के थमने की उम्मीद बढ़ गयी है. रविवार को कैबिनेट ने एक आपात बैठक में मधेशी समुदाय की मांगों पर नरम रुख अपनाते हुए संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव का निर्णय किया है. इस साल सितंबर में नेपाल में बहुप्रतीक्षित संविधान को अंगीकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2015 6:53 AM
पड़ोसी देश नेपाल में बीते तीन महीने से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध के थमने की उम्मीद बढ़ गयी है. रविवार को कैबिनेट ने एक आपात बैठक में मधेशी समुदाय की मांगों पर नरम रुख अपनाते हुए संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव का निर्णय किया है. इस साल सितंबर में नेपाल में बहुप्रतीक्षित संविधान को अंगीकार किया गया था, जिसके कतिपय प्रावधानों को भेदभावपूर्ण मानते हुए मधेश समुदाय आंदोलनरत था.
आंदोलन के दौरान हिंसक वारदातों में 50 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. आंदोलन के कारण भारत से नेपाल भेजी जानेवाली जरूरी चीजों का परिवहन बाधित हुआ, जिससे वहां की जनता को भारी तकलीफें उठानी पड़ी थीं. संविधान और मधेश आंदोलन को लेकर भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक तनाव भी पैदा हो गया था और भारत के विरुद्ध नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा तक खटखटा दिया था. नेपाल की 2.60 करोड़ की आबादी में 52 लाख मधेशी हैं.
उनकी शिकायत थी कि नये संविधान में उनके मौलिक अधिकारों को सीमित कर उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कम करने की कोशिश की गयी है. मधेशों का कहना था कि संविधान द्वारा गठित सात नये राज्यों के मौजूदा रूप में गठन से मधेशों के प्रतिनिधित्व पर प्रतिकूल असर होगा. अब कैबिनेट ने जनसंख्या के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व और निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण की मांग को स्वीकार कर लिया है.
इस कदम से मधेश समुदाय के आंदोलन को समाप्त करने में मदद मिलेगी. हालांकि, अब भी कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर टकराव की आशंका है. सेना और पुलिस में समुचित अवसर देना, गैर-नेपाली महिला से शादी करने पर पूर्ण नागरिकता के लिए 20 वर्ष और सरकारी नौकरी के लिए 10 वर्ष की शर्तों को हटाना, राष्ट्रीय सभा में जनसंख्या के आधार पर मनोनयन तथा सर्वोच्च संघीय पदों पर नियुक्ति के अधिकार देना आदि मांगों को लेकर गतिरोध अब भी है.
उम्मीद की जानी चाहिए कि नेपाल सरकार और मधेश समुदाय इन मसलों पर भी जल्दी ही परस्पर सहमति के साथ कोई समझ बना लेंगे. भारत ने स्वाभाविक रूप से नेपाली कैबिनेट की घोषणा का स्वागत किया है. नेपाल हमारा करीबी पड़ोसी देश है तथा उसकी सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता हमारे लिए बहुत अहम है. इसलिए भारत को कूटनीतिक और क्षेत्रीय वस्तुस्थिति के अनुरूप नेपाल के साथ सकारात्मक संवाद बरकरार रखना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version