जनरल शरीफ की अग्निपरीक्षा

।। प्रभात कुमार रॉय।। (पूर्व सदस्य, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी काउंसिल) पाकिस्तान के कमांडर-इन-चीफ जनरल अशफाक परवेज कयानी के रिटायरमेंट के पश्चात नवाज शरीफ हुकूमत द्वारा सैन्य वरिष्ठता के क्रम में सर्वोच्च सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट जनरल हारून असलम और नबंर दो सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट जनरल राशिद महमूद की उपेक्षा करते हुए छह लाख सैनिकों से लैस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2013 4:16 AM

।। प्रभात कुमार रॉय।।

(पूर्व सदस्य, नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी काउंसिल)

पाकिस्तान के कमांडर-इन-चीफ जनरल अशफाक परवेज कयानी के रिटायरमेंट के पश्चात नवाज शरीफ हुकूमत द्वारा सैन्य वरिष्ठता के क्रम में सर्वोच्च सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट जनरल हारून असलम और नबंर दो सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट जनरल राशिद महमूद की उपेक्षा करते हुए छह लाख सैनिकों से लैस पाक फौज का कमांडर-इन-चीफ जनरल राहिल शरीफ को नियुक्त कर दिया गया.

जनरल राहिल पाक फौज के सैन्य वरिष्ठता क्रम में तीसरे नबंर पर तैनात सैन्य अफसर थे. हुकूमत द्वारा अपनी उपेक्षा के विरोध में लेफ्टिनेंट जनरल हारून असलम ने पाक सेना से तत्काल त्यागपत्र दे दिया. यक्ष प्रश्न है कि जनरल राहिल द्वारा पाक फौज का सर्वोच्च पद संभाल लेने के पश्चात क्या पाक फौज की भारत विरोधी मानसिकता में कोई बुनियादी परिवर्तन आ सकता है? जनरल सिकंदर मिर्जा, जनरल अयूब खान, जनरल याहिया खान, जनरल जिया-उल-हक, जनरल मुशर्रफ और जनरल परवेज कयानी सहित प्राय: सभी पाक फौजी कमांडर-इन-चीफ का सैन्य इतिहास भारत विरोधी मानसिकता और आक्रामक साजिशों से सराबोर रहा है.

विगत छह वर्षो से पाकिस्तान में सिविलियन सरकार बाकायदा सत्तानशीन रही है, किंतु पाक फौजी कमांडरों की भारत विरोधी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं हो सका. पाकिस्तान नागरिक राजसत्ता की अधीनता में काम करने का मौलिक चरित्र पाक फौज का कदाचित नहीं रहा है. बहुत चाह कर भी पाक की नागरिक सत्ता वहां की खुफिया एजेंसी आइएसआइ को फौज से छीन कर अपने आधीन नहीं ला सकी. इससे ही पाकिस्तान में पाक फौज की असीम शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है. पाक फौज द्वारा सरहद पर की जानेवाली कवर-फायरिंग में अनेक बार भारतीय सैनिक हलाक होते रहे हैं. फरवरी, 2010 में सैन्य पेशेवर मानसिकता वाले जनरल कयानी ने कहा था कि भारत-पाक के मध्य कश्मीर का मसला जब तक मौजूद है और जब तक पानी का विवाद विद्यमान है, तब तक पाक फौज में भारत विरोधी भावना बरकरार रहेगी.

जनरल राहिल शरीफ भी रिटायर हुए जनरल परवेज कयानी के नक्शे-कदम पर चल सकते हैं, क्योंकि इनको भी जनरल कयानी की तरह ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा से कोसों दूर सैन्य तौर एक पेशेवर जनरल माना जाता है. शायद जनरल राहिल के इसी गुण को देखते हुए नवाज शरीफ हुकूमत ने दो अन्य वरिष्ठ सैन्य अफसरों को बाकायदा सुपरसीड करते हुए उनको पाक फौज का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया. नवाज को उम्मीद है कि जनरल राहिल उनकी हुकूमत का तख्तापलट जनरल मुशर्रफ की तर्ज पर कदापि नहीं करेंगे.

57 वर्षीय जनरल राहिल शरीफ एक पेशेवर सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इनका बड़ा भाई मेजर शब्बीर शरीफ 1971 के भारत-पाक युद्ध में मारा गया और उसको पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर प्रदान किया गया. राहिल के पिता मेजर मोहम्मद शरीफ ने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश फौज की ओर से लड़ाइयां लड़ी. पाकिस्तान के क्वेटा में जन्मे राहिल की पाक फौज के कमांडर-इन-चीफ को तौर पर उस विकट दौर में तैनाती हुई है, जब पाकिस्तान अपने ही द्वारा उत्पन्न किये गये तालिबान से खूंखार युद्ध में उलझा हुआ है. कूटनीतिक क्षेत्र में यह समझा जा रहा है कि जनरल राहिल की पाक फौज के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर नियुक्ति के पीछे नवाज शरीफ के अत्यंत निकट सहायक कूटनीतिज्ञ अब्दुल कादिर बलोच का हाथ है, जो स्वयं क्वेटा प्रांत के निवासी हैं. बलोच ने ही नवाज को पुख्ता यकीन दिलाया है कि जनरल राहिल से उनको तख्तापलट का खतरा नहीं होगा.

जनरल राहिल शरीफ की सैन्य बयानबाजी को एक तरफ रख कर गहन विचार करें, तो साफ तसवीर उभरती है कि पाकिस्तान की राजसत्ता और पाक फौज की स्वयंभू सत्ता का मूल चरित्र 1947 से अभी तक ज्यों का त्यों बना हुआ है. 1971 में भारतीय सेना के हाथों निर्णायक सैन्य शिकस्त खाकर और अपने दो टुकड़े कराके भी उसके हुक्मरानों ने कोई सबक हासिल नहीं सीखा. अमेरिका की सरपरस्ती में 1988 से निरंतर विगत 25 वर्षो से कश्मीर को लेकर पाक हुकूमत और फौज भारत के विरुद्ध धर्माध जेहाद के नाम पर प्रॉक्सी वार का बाकायदा संचालन करती रही है. अमेरिका अपनी खुदगर्जी के तहत भारतीय हितों की उपेक्षा करता रहा है और पाक को पालता-पोसता आया है. 2014 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के पलायन के पश्चात जनरल राहिल के नेतृत्व में पाक फौज की वास्तविक अग्निपरीक्षा होगी. जनरल राहिल की जगह कोई और होता, तो भी भारत की सुरक्षा को खतरा बना रहता, क्योंकि जब तक पाकिस्तान आधुनिक सोच-समझ वाला प्रजातांत्रिक राष्ट्र नहीं बन जाता, तब तक उसका आचरण भारत विरोधी बना रहेगा.

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