देश की झुग्गियां और विकास

दिल्ली की शकुरबस्ती में झुग्गियों को हटाने को लेकर हुए विवाद ने शहरों के उस विकराल समस्या के तरफ लोगों का ध्यान एक बार फिर से खींचा है, जिसके बारे में टीवी चैनलों पर बहस तब गरमा जाती है, जब वातावरण का तापमान गिरता है. एक तरफ इस मुद्दे को भुना कर राजनीतिक पार्टियां अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2015 3:30 AM

दिल्ली की शकुरबस्ती में झुग्गियों को हटाने को लेकर हुए विवाद ने शहरों के उस विकराल समस्या के तरफ लोगों का ध्यान एक बार फिर से खींचा है, जिसके बारे में टीवी चैनलों पर बहस तब गरमा जाती है, जब वातावरण का तापमान गिरता है. एक तरफ इस मुद्दे को भुना कर राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटियों को सेंकने में लगी हैं. वहीं, देश की खोखली विकास गाथा और असफल नीतियों पर से पर्दा उठा रही है.

आज हमें लगता है कि हमने भौतिक दुनिया में खुद को विकसित कर लिया है. इसका मतलब यह कि हमने अपने लोगों को उनके मूलभूत संसाधनों से जोड़ दिया है. जब पता चलता है कि देश की चार करोड़ से ज्यादा झुग्गियों मे रहने को मजबूर हैं, तो विकास के सभी मापदंड झूठे से लगने लगते हैं.

-शुभम श्रीवास्तव, गाजीपुर

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