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शिक्षक नियुक्ति का रवैया अस्पष्ट
इन दिनों झारखंड में चल रही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण की स्थिति विचित्र दिखायी पड़ रही है. एक ओर जहां पारा शिक्षकों के लिए आधी सीटें आरक्षित की गयी थीं, वहीं शेष बची सीटों का गैर-पारा नामकरण कर उन्हें गुप्त आरक्षित बना दिया गया. इससे मानवाधिकार कानून का खुल्लमखुल्ला उलंघन हो रहा है. […]
इन दिनों झारखंड में चल रही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण की स्थिति विचित्र दिखायी पड़ रही है. एक ओर जहां पारा शिक्षकों के लिए आधी सीटें आरक्षित की गयी थीं, वहीं शेष बची सीटों का गैर-पारा नामकरण कर उन्हें गुप्त आरक्षित बना दिया गया.
इससे मानवाधिकार कानून का खुल्लमखुल्ला उलंघन हो रहा है. दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गौर किया जाये, तो क्षैतिज आरक्षित सीटें शेष रहने की स्थिति में उसे अन्य अभ्यर्थियों से भरा जा सकता है.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी तक पर रखते हुए न तो पारा शिक्षकों को रिक्त पदों पर नियुक्त करने के बारे में विचार किया है और न ही गैर-पारा शिक्षकों से रिक्त पदों को भरने की कोशिश की जा रही है. फिलहाल, शिक्षक बनने की कतार में खड़े हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटका है. ऐसे में अभ्यर्थियों को माननीय हाइकोर्ट और मानवाधिकार आयोग से ही आस है.
-शेखर प्रसाद, सारठ
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