किसानों के प्रति उदासीन है सरकार
झारखंड के किसान दोहरी मार झेलने को विवश हैं. इस वर्ष औसत से कम वर्षा होने के कारण किसानों की फसल सूखे की चपेट में आ गयी और उत्पादन कम हुआ. अब सरकार द्वारा धान क्रय केंद्र नहीं खोले जाने से किसान अपनी मेहनत से उपजायी गयी फसल को औने-पाने दामों में बेचने को मजबूर […]
झारखंड के किसान दोहरी मार झेलने को विवश हैं. इस वर्ष औसत से कम वर्षा होने के कारण किसानों की फसल सूखे की चपेट में आ गयी और उत्पादन कम हुआ. अब सरकार द्वारा धान क्रय केंद्र नहीं खोले जाने से किसान अपनी मेहनत से उपजायी गयी फसल को औने-पाने दामों में बेचने को मजबूर हैं.
पहले से किसानों की आर्थिक स्थिति फसल कम होने से ज्यादा बिगड़ गयी. अब किसी तरह उपजायी गयी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसानों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान क्रय केंद्र खोल कर किसानों की उपजायी धान को अगर राज्य सरकार लेती, तो किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिल जाता. राज्य द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम किसानों को राहत पहुंचाने की बात तो कहीजा रही है, किंतु वास्तविकता सरकार की कथनी से परे है. राज्य सरकार द्वारा कई बार सर्वे कराने के बाद अंत में राज्य को सुखाड़ घोषित किया गया और किसानों को राहत पहुंचानेवाली कई योजनाओं की घोषणा की गयी, लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रही.
राज्य में धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से बाजार के पूंजीपति किसानों द्वारा उपजायी गयी धान को कम दर पर खरीद रहे हैं. धान क्रय केंद्र नहीं खुलने का इन पूंजीपतियों द्वारा भरपूर फायदा उठाया जा रहा है.
किसानों भी मजबूरन अपनी फसल इन पूंजीपतियों के हाथों बेचना पड़ रहा है. किसानों को खरीफ फसल के लिए बीज, खाद, कीटनाशक इत्यादि खरीदने के लिए पैसे के आभाव में पिछली फसल को बेचना मजबूरी है. पिछले साल भी धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. सरकार किसानों की दशा को सुधारने का प्रयास करे.
– प्रताप तिवारी, देवघर