साथ मिल करें राष्ट्र का निर्माण
बड़े अफ़सोस की बात है कि इस 21वीं सदी में भी हमारा समाज ‘कुनबों’ और ‘जातियों’ में बंटा है. मिसाल के तौर पर कहीं ‘बिहारी कल्याण मंच’ नजर आता है, तो कहीं ‘मारवाड़ी युवा मंच’. कहीं पर ‘ब्राह्मण समाज’ है, तो कहीं ‘वाल्मीकि समाज’. कोई ‘भोजपुरी समाज’ से है, तो कोई ‘मैथिली समाज’ से. कोई […]
बड़े अफ़सोस की बात है कि इस 21वीं सदी में भी हमारा समाज ‘कुनबों’ और ‘जातियों’ में बंटा है. मिसाल के तौर पर कहीं ‘बिहारी कल्याण मंच’ नजर आता है, तो कहीं ‘मारवाड़ी युवा मंच’. कहीं पर ‘ब्राह्मण समाज’ है, तो कहीं ‘वाल्मीकि समाज’.
कोई ‘भोजपुरी समाज’ से है, तो कोई ‘मैथिली समाज’ से. कोई ‘आमरा बंगाली’ है, तो कोई ‘हामी गोरखा’. कोई ‘मराठा मानुस’ है, तो कोई ‘कश्मीरी’. इस बीच, कोई एकमात्र ‘भारतीय’ नजर नहीं आता. यह जानते हुए भी कि हम सभी मानव हैं. फिर भी खुद को टुकड़ों में बांटते जा रहे हैं.
आज जरूरत इस बात की है कि हम मनुष्य रहते हुए एक इंसान और भारतीय बनने का प्रयास करें. आइये, हमसब मिलकर एक ‘भारतीय समाज’ और अंततोगत्वा एक ‘भारतीय राष्ट्र’ का निर्माण करें.
-सुरेंद्र प्रसाद, ई-मेल से