बुजुर्गों को मिले सम्मानपूर्ण जीवन

जिंदगी की ढलती सांझ में थकती काया और कमजोर होती क्षमताओं के बीच सम्मानपूर्वक सेहतमंद अौर भयमुक्त जीवन हर कोई व्यतीत करना चाहता है. ऐसे ही बुजुर्गों के बेहतर जीवन के लिए सकारात्मक सोच के साथ केंद्र सरकार ने वर्ष 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम पारित किया था. इसे सभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2015 5:44 AM
जिंदगी की ढलती सांझ में थकती काया और कमजोर होती क्षमताओं के बीच सम्मानपूर्वक सेहतमंद अौर भयमुक्त जीवन हर कोई व्यतीत करना चाहता है. ऐसे ही बुजुर्गों के बेहतर जीवन के लिए सकारात्मक सोच के साथ केंद्र सरकार ने वर्ष 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम पारित किया था. इसे सभी राज्यों को लागू करने का निर्देश भी दिया गया था.
सात साल बाद झारखंड सरकार ने इस अधिनियम को सितंबर 2014 में लागू किया, लेकिन अभी तक यह िसर्फ कागजों में ही सिमटा हुआ है. इसी का नतीजा है कि आज राज्य के बुजुर्ग निराश हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में देश के प्रत्येक व्यक्ति को खुद एवं अपने परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए उचित जीवनस्तर, जिसमें भोजन, कपड़े, आवास एवं चिकित्सकीय सुविधा शािमल है, प्राप्त करने का अधिकार है. इसके अलावा, आवश्यक सामाजिक सुरक्षा के अधिकार के साथ जीवन निर्वाह की अन्य सभी सुरक्षा का अधिकार भी दिया गया है.
पर यहां के वरिष्ठ नागरिक आज इससे वंिचत हैं. सरकार से यह निवेदन है कि वह राज्य में ट्रिब्यूनल के गठन के लिए अधिसूचना जारी करने के साथ रेलवे की तरह सभी बैंकों, प्रधान डाकघरों, बिजली विभाग, अस्पतालों व गैस गोदामों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से एक काउंटर की व्यवस्था करे.
इसके साथ ही, सामाजिक स्तर पर भी बुजुर्गों को सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करने संबंधी जागरूकता अभियान चला कर लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए. सामाजिक स्तर पर सुधार होने पर उन्हें अन्य सुविधाएं तो मिलेंगी हीं, साथ ही जीवन के अंतिम पायदान में वो उपेक्षित नहीं महसूस करेंगे.
-परमेश्वर झा, दुमका

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