हथियारों की होड़

अणु बम मानवता के लिए कितना खतरनाक है, इसे दुनिया हिरोशिमा और नागासाकी की विनाशलीला के रूप में देख चुकी है. विनाश करने की अणुबम की अतुलित क्षमता के कारण ही आण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को लेकर राष्ट्रों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें हुईं. अणुशक्ति संपन्न देशों ने इसका विशेष ध्यान रखा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2016 12:55 AM
अणु बम मानवता के लिए कितना खतरनाक है, इसे दुनिया हिरोशिमा और नागासाकी की विनाशलीला के रूप में देख चुकी है. विनाश करने की अणुबम की अतुलित क्षमता के कारण ही आण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को लेकर राष्ट्रों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें हुईं. अणुशक्ति संपन्न देशों ने इसका विशेष ध्यान रखा कि जिन देशों में लोकतंत्र की जड़ें गहरी नहीं है या फिर जिन देशों में शासन किसी एक व्यक्ति या समूह की मनमानी के आधार पर चलता है, कम-से-कम वे देश एटमी हथियारों से अपने को लैस ना कर सकें.
इसी कारण एटमी ऊर्जा तैयार करने की तमाम तकनीकों पर अणुशक्ति संपन्न देशों की पहरेदारी रही और इस पहरेदारी का एक विश्वस्तरीय तंत्र विकसित हुआ. अणुशक्ति की विध्वंसलीला को गहराई से समझने का ही परिणाम है कि एक तो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से कभी किसी देश ने अपने शत्रु-देश या समूह पर एटमी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया है.
दूसरे, अणुशक्ति संपन्न देशों के बीच एटमी ताकत कम करने के लिए संधि-समझौते भी होते रहे हैं. ऐसे में उत्तर कोरिया का हाइड्रोजन बनाना अणुशक्ति को लेकर अब तक की अंतरराष्ट्रीय समझ को झटका देनेवाली घटना है. एक तो उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग ऊन अपनी स्वेच्छाचारिता और निजी व्यवहार में क्रूरता के लिए कुख्यात हैं, दूसरे उत्तर कोरिया पहले से ही अणुबम से लैस देश है.
हाइड्रोजन बम बना लेने के कारण उत्तर कोरिया की सामरिक ताकत बहुत बढ़ गयी है, जो नजदीक के देशों (दक्षिण कोरिया और चीन) के साथ चली आ रही उत्तर कोरिया की परंपरागत शत्रुता को देखते हुए पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में आण्विक हथियारों की होड़ को बढ़ावा दे सकती है. फिर, यह डर भी बना रहेगा कि अपनी फितरत से मजबूर किम जोंग-ऊन बढ़ी हुई सामरिक ताकत का इस्तेमाल दुनिया को धौंसपट्टी दिखाने में न करने लगें.
बहुत संभव है, उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम बनाने को लेकर अमेरिका सख्ती करे और इलाके में प्रतिरोधक तंत्र विकसित करने के लिए नये सिरे से संहारक हथियारों को तैनात करने की बात सोचे.
एक बड़ा खतरा स्वयं हाइड्रोजन बम की प्रकृति को लेकर है. हाइड्रोजन बम परंपरागत एटमी बमों की तुलना में कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है और इसे बहुत छोटा रूप देना आसान है. एक खतरा यह भी है कि अपने छोटे रूप में हाइड्रोजन बम दुनियाभर में सक्रिय आतंकियों के हाथ न लग जाये. जाहिर है, महाविनाशक हथियारों पर समय रहते शांतिपूर्ण तरीके से लगाम न कसी गयी, तो दुनिया अंत के निकट पहुंच सकती है.

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