जनता को मिले तेल के गिरते दाम का लाभ
यूपीए सरकार के कार्यकाल में विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम लगभग 110 से 135 डॉलर प्रति बैरल थे और उसने 2010 में ही इसकी कीमतों से नियंत्रण हटा दिया था. इससे विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते घटते दामों का प्रभाव हमारे देश के दामों पर भी उसी हिसाब से होना था. […]
यूपीए सरकार के कार्यकाल में विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम लगभग 110 से 135 डॉलर प्रति बैरल थे और उसने 2010 में ही इसकी कीमतों से नियंत्रण हटा दिया था. इससे विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते घटते दामों का प्रभाव हमारे देश के दामों पर भी उसी हिसाब से होना था. फिर भी जनता को इसका लाभ नहीं मिला. उस कीमत पर पेट्रोल और डीजल की दाम क्रमश: 74 रुपये व 67 रुपये थे, जिससे जनता पर इसका पूरा बोझ पड़ा.
अब विश्व बाजार में जब इसकी कीमत 110 और 135 डॉलर प्रति बैरल से घट कर 30 से 35 डॉलर प्रति बैरल अर्थात लगभग 100 डॉलर कम हुई है. फिर भी सरकार ने जनता को कोई लाभ नहीं दिया, जिससे जनता महंगाई की मार झेलती रही. मोदी सरकार इतनी सौभाग्यशाली रही कि उसके बनते ही कच्चे तेल के मूल्य धड़ाधड़ गिरते गये.
-वेद प्रकाश, मामूरपुर, नरेला