16 दिसंबर के बाद औरतों पर खतरे बढ़े

16 दिसंबर के निर्भया कांड को अब एक साल होने को है. देश भर में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुआ, सख्त कानून बनाये गये. लेकिन महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों का सिलसिला कम होने के बजाय और बढ़ा है. आंकड़े बताते हैं कि महानगरों से लेकर छोटे शहरों, गांव, कस्बे हर जगह बलात्कार, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2013 4:50 AM

16 दिसंबर के निर्भया कांड को अब एक साल होने को है. देश भर में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुआ, सख्त कानून बनाये गये. लेकिन महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों का सिलसिला कम होने के बजाय और बढ़ा है. आंकड़े बताते हैं कि महानगरों से लेकर छोटे शहरों, गांव, कस्बे हर जगह बलात्कार, यौन-शोषण, घरेलू हिंसाए की घटनाएं बढ़ी हैं.

आज हमारे समाज में महिलाओं पर होने वाले अपराधों का रूप इतना भयावह हो चुका है कि अब कोई भी स्त्री किसी भी पुरु ष के सामने चाहे वह साधु-महात्मा हो या पढ़ा-लिखा सभ्य पत्रकार या न्यायाधीश, खुद को सुरक्षित नहीं पाती है. वह सबको शक की नजर से देखने लगी है. काम से बाहर निकली महिला वापस सही-सलामत घर आ जाती है तो यह उसकी उपलिब्ध मानी जाने लगी है. कैसे बदलेगी महिलाओं की दशा?

गीता दुबे, जमशेदपुर

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