मैं भारत का नागरिक हूं और हमें संवैधानिक रूप से अभिव्यक्ति की व जीने की स्वतंत्रता है. इसके बावजूद देश में महिलाओं की स्थिति दयनीय है. हमारे देश के पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का अपने सुविधानुसार उपयोग किया जाता है.
याद रहे हमारे इसी समाज में कुछ वर्ष पूर्व तक महिलाओं को सम्मानपूर्ण दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन आज खुले आसमान के नीचे स्वच्छंदतापूर्वक सांस लेने में भी दिक्कत है.
इसके लिए दोषी हमारे बीच के ही लोग हैं. समाज का एक वर्ग मानसिक रूप से पीड़ित है अौर उसी की वजह से पूरा समाज बदनाम हो रहा. अब जरूरत है कि समाज आगे आये. देश की महिलाओं को सम्मानपूर्ण जीवन जीने देने के लिए सब आगे आयें. हम खुद जागरूक हों. अपने बीच के गलत को पहचाने, तभी सब खुले में सांस ले सकेंगे.
– अभिमन्यु कुमार, सौंदा, रामगढ़