कागज का न्यूनतम उपयोग हो

कागज के उपयोग के बाद जलाने या फेंकने से बेहतर है कि उसे एकत्र कर कागज उद्योगों को रिसायकलिंग के लिए उपलब्ध कराया जाये. प्रारंभ में यह प्रक्रिया थोड़ी महंगी लग सकती है, मगर जिस तरह दुनिया में कुछ चीजें लाभ-हानि के गणित से ऊपर होती है, उसी तरह पर्यावरण पर खर्च भी धरती के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 4:26 AM
कागज के उपयोग के बाद जलाने या फेंकने से बेहतर है कि उसे एकत्र कर कागज उद्योगों को रिसायकलिंग के लिए उपलब्ध कराया जाये. प्रारंभ में यह प्रक्रिया थोड़ी महंगी लग सकती है, मगर जिस तरह दुनिया में कुछ चीजें लाभ-हानि के गणित से ऊपर होती है, उसी तरह पर्यावरण पर खर्च भी धरती के लिए दीर्घकालीन निवेश है.
मत भूलिये कि जब भी हम एक टन पुनर्चक्रीकृत कागज उपयोग में लाते हैं, तब हम 17 पेड़, 2103 लीटर तेल, 4077 किलोवाट ऊर्जा, 31587 लीटर पानी और 266 किलोग्राम हवा को प्रदूषित होने तथा भूमि का 2.33 घन मीटर हिस्सा ‘लैंड फिल’ बनने से यानी बंजर बनने से बचाते हैं. आज दुर्भाग्य से गांवों से लेकर शहरों तक में खाकरे के पत्तों से बने पत्तल-दोनों का स्थान कागजी पत्तल-दोनों ने ले लिया है.
कुछ सरकारी कार्यालय या कुछ सरकारी लोग एक-एक दस्तावेज की अनावश्यक रूप से कई-कई प्रतियां, चार लाइन की जानकारी के लिए भी फुलस्केप कागज का उपयोग, एक ही परिपत्र की ढेर सारी प्रतियां, सरकारी कार्यालयों में अंगरेजी, हिंदी या क्षेत्रीय भाषा (या तीनों) सारी प्रतियां और बाद में त्रुटि निवारण यानी अमेंडमेंट के लिए फिर ढेर सारी प्रतियां. यानी कागज की ऐसी कई फिजूलखर्चियां हैं, जिनसे बचा जा सकता है. आम चुनावों में यदि सिर्फ इवीएम का ही उपयोग किया जाये, तो कई टन कागज बचाया जा सकता है. कागजी मुद्रा पर ऑस्ट्रेलिया की तरह प्लास्टिक कोटिंग या वार्निश लेपन कर मुद्रा का जीवनकाल बढ़ा कर ढेर सारा कागज बचाया जा सकता है.
इसी तरह सभी बड़े लेन-देन में डेबिट कार्ड के प्रयोग को आवश्यक व लोकप्रिय बना कर कागजी मुद्रा के प्रयोग को कम किया जा सकता है. ई-मेल सुविधा का अधिक से अधिक उपयोग व ‘सॉफ्ट-कॉपी’ से किया गया हर लेन देन या पत्राचार कागज बचायेगा. जिस प्रकृति ने हमें जीवन दिया है, क्या उसके हित के लिए ‘कागज बचाओ’ अभियान का हिस्सा बनना हमारा नैतिक दायित्व नहीं है?
– ओम वर्मा, देवास (मध्य प्रदेश)

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