अनुकरणीय पहल

नेतृत्व क्षमता की परीक्षा मुश्किल घड़ियों में ही होती है. इस लिहाज से देखें, तो दिल्ली की हवा में घुले जहर को कम करने के इरादे से कारों के आवागमन को नियंत्रित करने की सम-विषम योजना राज्य सरकार के हौसले की एक मिसाल है. इस योजना में जन-भागीदारी ने साबित किया है कि सरकार द्वारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 4:28 AM
नेतृत्व क्षमता की परीक्षा मुश्किल घड़ियों में ही होती है. इस लिहाज से देखें, तो दिल्ली की हवा में घुले जहर को कम करने के इरादे से कारों के आवागमन को नियंत्रित करने की सम-विषम योजना राज्य सरकार के हौसले की एक मिसाल है. इस योजना में जन-भागीदारी ने साबित किया है कि सरकार द्वारा बड़े मकसद और नेक इरादे से लिये गये कड़े फैसलों को भी जनता पूरे मन से स्वीकार करती है. दिल्ली दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर है.
अदालतों और विभिन्न संस्थाओं ने इस पर नियंत्रण के लिए बार-बार आग्रह किया है. प्रदूषण से समाज का हर वर्ग प्रभावित होता है और इसका भयावह दुष्परिणाम भावी पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ता है. ऐसे में, सम-विषम योजना की कामयाबी ने यह संकेत भी दिया है कि प्रदूषण जैसी जानलेवा समस्या से निबटने में सरकार और समाज मिल कर काम कर सकते हैं. एक जनवरी से लागू इस योजना के तहत कारें अपने सम-विषम नंबर के हिसाब से चल रही हैं.
यह स्वाभाविक है कि व्यापक जनहित के ऐसे कुछ फैसले तात्कालिक तौर पर कुछ नागरिकों के लिए असुविधाजनक हों, पर देर-सबेर इनसे सभी को लाभ ही होगा. यह योजना की कामयाबी का ही नतीजा है कि जहां दिल्ली हाइकोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, वहीं कुछ और राज्यों में भी इसे लागू करने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. दुनिया के 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 13 भारत में हैं. वायु प्रदूषण का कारण सिर्फ वाहन ही नहीं है, जल और भोजन जैसे तत्व भी प्रदूषण की चपेट में हैं. लेकिन, राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति व प्रतिबद्धता की कमी के कारण प्रदूषण की समस्या निरंतर विकराल ही होती जा रही है. ऐसे में दिल्ली में 15 दिनों का यह प्रयोग प्रेरणा का स्रोत बन सकता है.
फिलहाल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे 15 जनवरी के बाद जारी रखने से इनकार करते हुए पहले इससे हासिल अनुभवों के अध्ययन की बात कही है. उन्होंने इस योजना से ट्रैफिक जाम, अफरा-तफरी और नोक-झोंक में आयी कमी को भी रेखांकित किया है. अब जरूरत इस बात की है कि ऐसी योजनाओं को और बेहतर तरीके से लागू किया जाये.
साथ ही, प्रदूषण कम करने के अन्य उपायों, जैसे- औद्योगिक कचरे और धुएं पर लगाम, जल-शोधन की व्यवस्था, पर्यावरण की संरक्षा आदि पर भी समुचित ध्यान दिया जाये. प्रदूषण कम करके हम न सिर्फ अपने और आनेवाली पीढ़ियों को स्वस्थ बनायेंगे, बल्कि भारी मात्रा में धन की बर्बादी भी रोक सकते हैं. उम्मीद है कि दिल्ली से शुरू हुई यह पहल देश में सामूहिक प्रयास में तब्दील होगी.

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