मिले स्थानीय होने का लाभ

झारखंड राज्य में बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान है, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं और यहां से पढ़ कर वे वापस चले जाते है. बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी भी करते है. लेकिन, इन संस्थानों में राज्य के छात्र-छात्राओं को दाखिले के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. अंत में वे दूसरे राज्यों का रुख करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2016 5:12 AM
झारखंड राज्य में बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान है, जहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं और यहां से पढ़ कर वे वापस चले जाते है. बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी भी करते है. लेकिन, इन संस्थानों में राज्य के छात्र-छात्राओं को दाखिले के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. अंत में वे दूसरे राज्यों का रुख करने को मजबूर हैं. इसमें प्रदेश सरकार को स्थानीय छात्रों, यहां से पढ़ाई करनेवाले छात्रों, खास कर झारखंड राज्य बोर्ड से पढ़ाई करनेवाले छात्रों को अलग तरजीह देनी चाहिए.
इससे नंबर कम प्राप्त करने के कारण जिन छात्रों का दाखिला नहीं हो पाता या दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं, उनका पलायन रुकेगा. साथ ही अपने राज्य का भी नाम होगा. ठीक इसी प्रकार राज्य सरकार की नौकरी व राज्य में लगनेवाली हर कंपनी में भी नौकरी के लिए ऐसे ही नियम लागू की जानी चाहिए. इससे स्थानीय छात्रों को रोजगार भी मिलेगा और राज्य के युवाओं का राज्य के प्रति भरोसा भी बढ़ेगा.
– सुमंत चौधरी, जमशेदपुर

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