आखिर कब खत्म होगी दहेज-प्रथा?
आये दिन अखबारों में छपते रहता है कि दहेज के लिए बहू-बेटियों की हत्या कर दी गयी. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि िजस देश में नारी को देवी का दरजा प्राप्त है, वहां आज उन्हें सिर्फ चंद पैसों के लिए मार दिया जाता है. आज देश में […]
आये दिन अखबारों में छपते रहता है कि दहेज के लिए बहू-बेटियों की हत्या कर दी गयी. उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि िजस देश में नारी को देवी का दरजा प्राप्त है, वहां आज उन्हें सिर्फ चंद पैसों के लिए मार दिया जाता है.
आज देश में लड़कियाें की अनुपात लड़कों से कम सिर्फ इसलिए है, क्योंकि लड़की होने पर उसके गरीब मां-बाप शादी में दहेज कहां से दे पायेंगे, यह सोच कर दुखी होते हैं. यह प्रथा हमारे समाज के विकास में बाधक है. इसे खत्म करने के लिए हर एक को जागरूक होना होगा.
सभी को प्रण करना होगा कि ना दहेज लेंगे और ना ही देंगे. ऐसा हम कर सकें, तभी हमारा समाज, देश विकास करेगा. दहेज की मांग करनेवालों के यहां अपनी बेटी कभी न दें. अगर इस प्रथा को खत्म करना है, तो हर एक को आगे आना होगा.
– पियुष राज, दुमका