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हम मंदी के दौर में तो नहीं जा रहे

कच्चे तेल की कीमत पिछले एक दशक के निचले स्तर पर है. 28 डॉलर प्रति बैरल से भी कीमत कम हो गयी है. हमारे पास-पड़ोस के मुल्कों में कहीं भी पेट्रोल की कीमत 25 से 30 रुपये से अधिक नहीं है. पर देश में इसका फायदा नहीं मिल रहा. हमें मिलनेवाला फायदा सरकार एक्साइज ड्यूटी […]

कच्चे तेल की कीमत पिछले एक दशक के निचले स्तर पर है. 28 डॉलर प्रति बैरल से भी कीमत कम हो गयी है. हमारे पास-पड़ोस के मुल्कों में कहीं भी पेट्रोल की कीमत 25 से 30 रुपये से अधिक नहीं है.
पर देश में इसका फायदा नहीं मिल रहा. हमें मिलनेवाला फायदा सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर अपने खाते में रख रही है. वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने एक चैनल पर कहा कि यह पैसा हम बजट घाटा कम करने में इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने हिसाब गिनाते हुए कहा कि देश का कुल खर्च सालाना 18 लाख हजार करोड़ है, जबकि आय सिर्फ 12 लाख करोड़. यानी देश छह लाख करोड़ के घाटे में चल रहा है.
उन्होंने कहा कि हम घाटा जितना पाटेंगे, उतना ही हमारी आनेवाली पीढ़ी का जीवन सुखद होगा. हालांकि, वित्त मंत्रालय बार-बार आशावादी लहजे में आठ से नौ फीसदी विकास दर का दावा कर रहा है. यह नामुमकिन लगता है. तमाम तथ्य व आंकड़े हमें मंदी के दौर में लेकर जा रहे हैं.
– जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

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