साइकिल ने जगाया शिक्षा का अलख
आठवीं कक्षा पास करने के बाद हाइस्कूल जाने के लिए सरकार द्वारा बालिकाओं को साइकिल देने की योजना का असर दिखने लगा है. यह योजना नारी शिक्षा के क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है. इस योजना से लाभ उठा कर दूरस्थ गांवों की बालिकाएं भी अपने सपने को साकार कर रही हैं. आज वे […]
आठवीं कक्षा पास करने के बाद हाइस्कूल जाने के लिए सरकार द्वारा बालिकाओं को साइकिल देने की योजना का असर दिखने लगा है. यह योजना नारी शिक्षा के क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है.
इस योजना से लाभ उठा कर दूरस्थ गांवों की बालिकाएं भी अपने सपने को साकार कर रही हैं. आज वे बच्चियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मीलों साइकिल चला कर स्कूल जा रही हैं, जहां पैदल जाना मुश्किल था. कई अभिभावक तो अपनी बच्चियों को सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं भेजते थे, क्योंकि आवागमन की सही व्यवस्था नहीं थी.
सवारी गाड़ियों का परिचालन तो दूर, सड़कों का भी ढंग से निर्माण नहीं कराया गया था. आज चाहे वह दूरस्थ गांव हो या पहाड़ी अंचलों में बसी बस्तियां, हर जगह की लड़कियां अपने समीप के स्कूलों तक जाने में सक्षम हैं. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत साइकिल मिलने से न केवल बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिला है, बल्कि स्कूलों में बालिकाओं की उपस्थिति भी बढ़ी है. सुदूर गांव की बालिकाएं साइकिल से स्कूल जाने के साथ ही गैर-सरकारी संस्थान से तकनीकी शिक्षा हासिल कर रही हैं.
साइकिल वितरण के साथ ही स्कूल से छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन, स्कूल ड्रेस इत्यादि मिलने से भी ग्रामीण अंचलों में स्कूली शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता आयी है. पहले की अपेक्षा अब अधिक बच्चे स्कूल की ओर रुख कर रहे हैं. याद रहे बिना बालिका शिक्षा के समाज का विकास संभव नहीं है. देश के लिंगानुपात और महिला साक्षरता दर को देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बलिकाओं का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना कितना आवश्यक है.
कहा भी गया है अगर महिला शिक्षित हो तो पूरा परिवार अौर समाज अच्छा होता है. दूसरी बात यह कि भारत गांवों का देश है. यहां की बड़ी आबादी गांवों में है. ऐसे में सरकार द्वारा लागू यह योजना ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाई की इच्छा रखनेवाली बालिकाओं के लिए वरदान से कम नहीं है.
– प्रताप तिवारी, सारठ