बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी है. इसी साल तीन अक्तूबर को रांची में सीबीआइ की विशेष अदालत से उन्हें पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी थी. तभी से वे रांची के बिरसा मुंडा कारा में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब लालू प्रसाद रिहा हो जायेंगे. लालू प्रसाद जननेता रहे हैं. देश में उनकी पहचान रही है.
बिहार में लंबे समय तक उन्होंने शासन किया. देश की राजनीति में भी उनका योगदान रहा. केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. बोलने के अनोखे अंदाज से लालू प्रसाद देश-दुनिया में चर्चित रहे हैं. इसलिए जब चारा घोटाले में उन्हें सजा हुई और वे जेल गये तो एक बड़ा वर्ग निराश हुआ. लगा कि लालू प्रसाद का राजनीतिक जीवन समाप्त हो गया है. सबसे ज्यादा संकट तो उनके दल यानी राजद में था. दल को एकजुट कर रखना आसान काम नहीं था. इस काम को संभालने के लिए उनकी पत्नी राबड़ी देवी आगे आयीं. बेटे को भी सामने लाया गया.
भले ही उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार में सभाएं कर लालू प्रसाद की कमी की भरपाई करने का प्रयास कर रही थीं, पर लालू प्रसाद की कमी खल रही थी. अब लालू प्रसाद के बाहर आने के बाद इसका असर बिहार पर दिखेगा. लालू प्रसाद भले ही जेल में हैं, पर उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है. हर दिन उनसे मिलनेवालों का तांता लगा रहता है. बिहार के कोने-कोने से उनके समर्थक जेल में मिलने आते हैं. यह सही है कि लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट ने पशुपालन घोटाले से बरी नहीं किया है, बल्कि उन्हें जमानत दी है.
लालू प्रसाद के लिए यह भी बड़ी राहत है. जब तक सुप्रीम कोर्ट उन्हें मामले से बरी नहीं कर देता, वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, पर लालू प्रसाद लोकसभा चुनाव में प्रचार करते हुए अपनी पार्टी में जान फूंक सकते हैं. यह काम वे जेल में रह कर नहीं कर सकते थे. इससे निश्चित तौर पर न सिर्फ राजद को फायदा होगा, बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव में जब देश में भाजपा बनाम कांग्रेस का मुकाबला होगा, उसमें राजद मजबूती के साथ कांग्रेस के साथ खड़ा हो सकता है. लालू प्रसाद की जमानत का असर लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर दिखेगा. राजद अब और मुखर होकर बिहार-झारखंड में चुनाव मैदान में उतरेगा.