आप’ बहुत अजीब हैं!

।। कमलेश सिंह।। (इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक) आप ही पीवें, आप पिलावें, आप फिरें मतवाला! आप ही बोवें, आप ही काटें, आप होंवे रखवाला! अपनी गोदी आप ही खेलें बन के मोहनलाला! यात्री अपने सामान के स्वयं जिम्मेदार हैं. बसों में लिखी इस लाइन का मतलब मत निकालिये पर इतना जरूर जानिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2013 4:04 AM

।। कमलेश सिंह।।

(इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक)

आप ही पीवें, आप पिलावें, आप फिरें मतवाला!

आप ही बोवें, आप ही काटें, आप होंवे रखवाला!

अपनी गोदी आप ही खेलें बन के मोहनलाला!

यात्री अपने सामान के स्वयं जिम्मेदार हैं. बसों में लिखी इस लाइन का मतलब मत निकालिये पर इतना जरूर जानिये कि देश की अवस्था, व्यवस्था में आपका ही हाथ है. आप की जीत से आप आसमान पर हैं. जब यथार्थ के धरातल पर धम्म से गिरेंगे तो हम कहेंगे कि आप तो ऐसे न थे. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के दिल में जगह मांगी थी, दिल्ली ने उसे दिल दे दिया. अब आप की नजर देश पर है. तेज भी है, और तेजी भी. उनके रफ्तार की नजरें उतारिये क्योंकि पुरानी पार्टियों पर भी आप का असर दिख रहा है. कुर्सी के लिए चुनाव लड़नेवाले कुर्सी पर चढ़ना नहीं चाहते. जनता की नजरों से गिरे तो कमर टूट जायेगी. क्योंकि जनता पर अभी ईमानदारी सवार है. आम आदमी पार्टी ईमानदार है, पर आम आदमी ईमानदार है क्या? अगर ईमानदार होता तो इतने सारे बेईमान क्या आसमान से टपके हैं? सबको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, चचा गालिब की तरह दिल को बहलाते रहिये! ज्यों चले काम, अपना काम चलाते रहिये. खाते रहने के लिए कुछ उनको खिलाते रहिये! ले-दे के निपट जाये तो हर काम है अच्छा, न बने बात तो फिर बात बनाते रहिये! कुछ इसी टाइप के ईमानदार हैं हम.

हम चुनते हैं लोगों को. फिर भुनते हैं कि वो बेवफा निकला. जनता ईमानदार हो तो सरकारें बेईमान हो ही नहीं सकती. भ्रष्टाचार सिर्फ लेने का मामला नहीं है, देने का भी है. वह आपको आपका हक ऐसे देते हैं जैसे कि वह उपहार दे रहे हों. रोटी, रोजगार, नौकरी में आरक्षण. बदले में आप वोट देते हैं. जब आपको लेने की आदत लग जाती है तो वह घूस भी दे देते हैं. लैपटॉप, रंगीन टीवी भी चुनावी वादों में शामिल हो गये. ये हक नहीं हैं. पर वह देते हैं, आप लेते हैं. सरकारी दफ्तरों में आप देते हैं तो वह लेते हैं. आप देते हैं क्योंकि आप वह लेते हैं जो आपका नहीं होता. वे लेते हैं क्योंकि वे आपके गलत को सही करते हैं. फिर उनको आदत हो जाती है लेने की, सही को सही करने की. आपके लिए तब तक अच्छा है जब तक आपका भला है. पर ये आदत बुरी बला है. आप चिल्लाते हैं कि बहुत अंधकार है, भ्रष्टाचार है. इस को पनपने में बहुत पानी लगा है, और ये खाद-पानी आपने ही दिया है. आप चाहें तो उखाड़ कर फेंक दें, पर आप को थोड़ा-सा जुगाड़ रखने की आदत है. अपने घर से एक इंच ही सही पर छज्जा बाहर निकालेंगे. देर रात दूसरे की मेड़ काट डालेंगे.

हर आदमी अंदर से ईमानदार होता है. ये कथन उतना ही सत्य है जितना ये कि हर आदमी अंदर से बेईमान होता है. हर आदमी चरित्र से उतना ही चरित्रवान होता है, जितना कि चंट. कई लोग ऐसे हैं जिनका लालच के सामने ईमान नहीं डोलता. क्योंकि संस्कार और अच्छी शिक्षा उन्हें अवसर मिले तो भी अकसर छोड़ने को मजबूर कर देती है. या यूं कहें कि माता-पिता और शिक्षकों के षड्यंत्र से उन्हें अवसर ही नहीं मिलता है गलत राह पर जाने का. कोई भी जन्म से अपराधी नहीं होता या फिर हर आदमी जन्म से अपराधी चरित्र का होता है, बस मौका नहीं मिलता या मजबूरी नहीं होती.

मेरे साथ पढ़े-लिखे लोग इंजीनियर-डॉक्टर भी बने, कुछ अपराधी भी बन गये. क्योंकि जो इंजीनियर बने उन्हें अवसर नहीं मिला अपराधी बनने का. मेरे पिता ने मुङो वह अवसर नहीं दिया, क्योंकि किताबें ही इतनी पकड़ा दी. पढ़ते-पढ़ते लिखने लगे तो लिखने के और अवसर मिलने लगे. टाइपकास्ट हो जाता है आदमी. जैसे नेता टाइपकास्ट हो गये हैं. सबको मालूम है कि नेता बनने पर मौका मिल जाता है, खाने का, खिलाने का. आपके एमएलए या एमपी जरूरी नहीं कि बेईमान हों पर देश नेता अभी टाइपकास्ट हैं. सारे नेता चोर हैं, ये नारा वो सारे भी लगाते हैं जिनको मौका मिला तो चौका ही लगाया.

अरविंद केजरीवाल से ईमानदारी की शुरुआत नहीं हुई. एक गांधी कांग्रेस में थे जिन्हें हम पूजते हैं. एक गांधी कांग्रेस में हैं जिनसे हम जूझते हैं. भाजपा में भी ऐसे लोग हैं जो भोर को भकोसते हैं और सांझ को कोसते हैं, जब अंधेरा-सा छाने लगता है. सब अवसर पर निर्भर है. आप अवसर देते हैं, तो लोग लेते हैं. आप जिन्हें चुनते हैं उनकी सेवा में लग जाते हैं फिर पछताते हैं कि उन्होंने आपकी सेवा नहीं की. एक बार सेवा का अवसर तो दीजिए. बेईमान होने का नहीं, ईमानदार होने का मौका दीजिए. वो मौका चूक जाये तो अवश्य गरियाइये. पीरजादा कासिम के शेर पर गौर कीजिए :

अपने खिलाफ फैसला खुद ही लिखा है आप ने,

हाथ भी मल रहे हैं आप, आप बहुत अजीब हैं!

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