किस ओर चला समाज
12 जनवरी को ‘महिला कोर्ट परिसर में मांगती रही भीख’ शीर्षक से प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को पढ़ कर अंदर तक हिल गया. यह जान कर दुख हुआ हुआ कि आज भी हमारे समाज में ऐसी घृणित सोच रखनेवाले व्यक्ति भी रहते हैं. इस खबर को पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है कि इस […]
12 जनवरी को ‘महिला कोर्ट परिसर में मांगती रही भीख’ शीर्षक से प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को पढ़ कर अंदर तक हिल गया. यह जान कर दुख हुआ हुआ कि आज भी हमारे समाज में ऐसी घृणित सोच रखनेवाले व्यक्ति भी रहते हैं.
इस खबर को पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है कि इस महिला जैसी न जाने कितनी अन्य महिलाएं अंधेरी गलियों में घुट-घुट कर जीने को मजबूर है. कहने को तो आज भारत में युवाओं की फौज खड़ी है, तो क्या इन युवाओं की भी मानसिकता वैसी ही हाे गयी है कि लोग इन बेबस महिलाओं की ओर देख कर मुंह फेर लेते हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर राजधानी रांची तक ऐसी लाचार महिलाएं देखी जा सकती हैं, जिनकी स्थिति बद से बदतर बनी हुई है. आज जरूरत इस बात की नहीं है कि महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें अधिकार दिलाने के नाम पर लंबी-लंबी बातें की जायें, जरूरत है कि सरकार के साथ-साथ गैरसरकारी संगठन भी आगे आकर उनकी पीड़ा समझें.
-विशाल सिंह मुंडा, रांची