स्याही की सियासत

केजरीवाल खुद के गुस्से पर काबू नहीं कर पा रहे हैं. उनके काम के तरीके को देखें, तो आंदोलन, प्रदर्शन, खुद को ईमानदार साबित करने की कोिशश वह लगातार करते रहे हैं. उन पर आरोप भी लगते रहे हैं िक वह किसी की सुनने को तैयार नहीं रहते. शायद इसी कारण उनके कई साथी उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2016 6:32 AM
केजरीवाल खुद के गुस्से पर काबू नहीं कर पा रहे हैं. उनके काम के तरीके को देखें, तो आंदोलन, प्रदर्शन, खुद को ईमानदार साबित करने की कोिशश वह लगातार करते रहे हैं. उन पर आरोप भी लगते रहे हैं िक वह किसी की सुनने को तैयार नहीं रहते. शायद इसी कारण उनके कई साथी उनकी पार्टी से अलग हो चुके हैं. कई संदर्भों में उनकी कथनी-करनी में भी अंतर दिखा है.
वेतन, विज्ञापन, विशेष सुविधाओं, जनता दरबार आदि पर भी सवाल उठे हैं. अब स्याही कांड के बाद भी वह चरचा में हैं. सुरक्षा पर वो अौर उनके साथी सवाल उठा रहे हैं, तो दूसरी अोर सुरक्षा देनेवाले लोग उनकी बातों को गलत बता रहे हैं. अगर सुरक्षा की ही बात है, तो क्या यह उचित नहीं कि इस बात पर हंगामा करने की जगह संबंधित लोगों से इस मुद्दे पर बात हो. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो एक फिर चर्चा में आयेंगे.
– वेद, नरेला

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