पाक फिर बेनकाब

पठानकोट हमले के सिलसिले में पाकिस्तान की कार्रवाई और मंशा को लेकर भ्रम के चलते ही भारत और पाक के बीच 15 जनवरी को प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की वार्ता आखिरी वक्त में टल गयी थी. भारत द्वारा सौंपे सबूतों पर पाक यदि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को हिरासत में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2016 6:40 AM
पठानकोट हमले के सिलसिले में पाकिस्तान की कार्रवाई और मंशा को लेकर भ्रम के चलते ही भारत और पाक के बीच 15 जनवरी को प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की वार्ता आखिरी वक्त में टल गयी थी. भारत द्वारा सौंपे सबूतों पर पाक यदि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को हिरासत में लेने की पुष्टि कर देता, तो शायद यह वार्ता नहीं टलती.
हालांकि, तब उम्मीद थी कि पाक सरकार ‘निर्णायक कार्रवाई’ के लिए वचनबद्ध है और वार्ता टलने से उसे अपना वादा निभाने के लिए कुछ वक्त मिल जायेगा. लेकिन, मसूद अजहर को नजरबंद किये जाने के दावों के उलट, अब जिस तरह से उसके आजाद घूमने की खबरें आ रही हैं, वह आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के दोहरे रवैये की फिर पोल खोलता है.
खबर यह भी है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े जिन तीन लोगों को पकड़ा गया था, उनका पठानकोट हमले से संबंध नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान की कार्रवाई मुंबई या गुरदासपुर हमलों के समय अपनाये गये दोहरे रवैये से बहुत ज्यादा अलग नहीं दिख रही. यह स्थिति तब है, जबकि हाल में पाक के वरिष्ठ राजनयिकों और मीडिया ने भी कहा कि पठानकोट हमले के जिम्मेवार जैश-ए-मोहम्मद का खात्मा जरूरी है. अब इस संदर्भ में अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द न्यूयॉर्कर’ में छपे लेख में भी अहम सवाल उठाये गये हैं.
इसमें कहा गया है कि ‘पाकिस्तानी सेना दशकों से न सिर्फ भारत-पाक शांति प्रक्रिया में बाधा डालती रही है, बल्कि उन आतंकी संगठनों की मदद भी करती रही है, जो घोषित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न हैं. बावजूद इसके अमेरिका 9‍/11 के बाद से पाक सेना को कम-से-कम 18 अरब डॉलर की सहायता दे चुका है, जिनमें से 1.5 अरब डॉलर तो पिछले साल ही दिये गये हैं. क्या यह सही वक्त नहीं है, जब पूछा जाये कि यह सही कदम है?’
उल्लेखनीय है कि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी पहली बार माना था कि पाक आतंकवादी गुटों के जरिये भारत के खिलाफ ‘छद्म युद्ध’ चला रहा है. हालांकि, यह बात भारत दशकों से कहता रहा है कि जो जेहादी गुट पाकिस्तानी जमीन से भारत पर हमलों की साजिश रचते हैं, वे पाकिस्तानी एजेंसियों से नियंत्रित व संचालित हैं.
सच यह भी है कि पाक सेना और खुफिया एजेंसी जिस नापाक रणनीति पर चल रही है, उसका खामियाजा पाकिस्तानी अवाम को भी भुगतना पड़ रहा है. जब तक पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सत्ता इस हकीकत से आंख चुराती रहेगी, दक्षिण एशिया में आतंकवाद का खात्मा एक ख्वाब ही बना रहेगा.

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