जनसंख्या वृद्धि पर हो सकारात्मक सोच

प्रभात खबर के पाठकमत पर प्रकाशित पत्र ‘जनसंख्या कम करना ही एकमात्र उपाय है’ को पढ़ा, अच्छा लगा. प्रकाशित लेख के संबंध में मेरा व्यक्तिगत राय है कि सोच सकारात्मक हो, तो सफलता जरूर मिलती है. कहने का अर्थ यह है कि ‘क्योर इज बेटर दैन प्रीवेंशन.’ रोक नहीं, इलाज हो. विद्वान अर्थशास्त्रियों ने जनसंख्या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2016 1:22 AM
प्रभात खबर के पाठकमत पर प्रकाशित पत्र ‘जनसंख्या कम करना ही एकमात्र उपाय है’ को पढ़ा, अच्छा लगा. प्रकाशित लेख के संबंध में मेरा व्यक्तिगत राय है कि सोच सकारात्मक हो, तो सफलता जरूर मिलती है.
कहने का अर्थ यह है कि ‘क्योर इज बेटर दैन प्रीवेंशन.’ रोक नहीं, इलाज हो. विद्वान अर्थशास्त्रियों ने जनसंख्या पर कहा है कि जो व्यक्ति एक मुंह के साथ दो हाथ लेकर जन्म लेता है, तो जनसंख्या वृद्धि क्या? दिक्कत तो तब है, जब दो हाथ एक मुंह को भोजन न दे सकें.
सही मायने में देखा जाये, तो किसी भी राष्ट्र की जनसंख्या समस्या तब बनती है, जब उस देश में श्रमशक्ति का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहो, लेकिन जिस राष्ट्र में श्रमबल का सही तरीके से उचित स्थान पर उपयोग किया जाता है, तो जनसंख्या उस राष्ट्र के लिए समस्या नहीं रह जाती, बल्कि वह उत्पादन और विकास का प्रमुख जरिया बन जाती है.
-परमेश्वर झा, दुमका

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