अब शिक्षा में भी सियासत!

पिछले कई दशकों से हम देखते आ रहे हैं कि खेलों में सियासतदान पदार्पण करते आ रहे हैं. भले ही उन्हें खेल के बारे में जानकारी हो या नहीं. भले ही वे कभी खेल के मैदान ना गये हों, लेकिन खेल के मैदान पर ये सियासतदान अच्छी पारी खेलते हैं. जैसे खेल में ऐसे लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2016 6:21 AM
पिछले कई दशकों से हम देखते आ रहे हैं कि खेलों में सियासतदान पदार्पण करते आ रहे हैं. भले ही उन्हें खेल के बारे में जानकारी हो या नहीं. भले ही वे कभी खेल के मैदान ना गये हों, लेकिन खेल के मैदान पर ये सियासतदान अच्छी पारी खेलते हैं. जैसे खेल में ऐसे लोगों के आने का मकसद खेलों को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि अपनी तरक्की करना है. कुछ इसी प्रकार का हाल अभी शिक्षण संस्थानों में होने लगा है. खेल के मैदान से अब ये शिक्षा में भी दखल देने लगे हैं.
पिछले कुछ महीनों से जिस तरह शिक्षा में सियासत का दखल बढ़ता जा है, यह चिंताजनक है. पहले पुणे के फिल्म इंस्टिट्यूट और अब हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक छात्र का आत्महत्या करना कई सवाल उठाता है.आखिर यह कब तक चलेगा? शिक्षा में ऐसी चीजों को नहीं रोका गया, तो शिक्षा के क्षेत्र में हमारे गौरवशाली भूत-वर्तमान पर कलंक लग जायेगा. इस मुद्दे पर सरकार अौर हमसब को गंभीर होना होगा.
– सुमंत चौधरी, जमशेदपुर

Next Article

Exit mobile version