क्या महाशक्ति बन पायेगा भारत?
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महाशक्ति या सुपर पावर वह संप्रभु देश होता है, जिसमें वैश्विक रूप से प्रभाव डालने की क्षमता हो. महाशक्ति बनने के लिए समाज में मजबूती और गतिशीलता जरूरी है. एक प्रगतिशील समाज नयी सोच व परोपकार की प्रवृति के लिए जाना जाता है. सड़क पर कचरा पड़ा हो, तो प्रगतिशील देश का […]
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महाशक्ति या सुपर पावर वह संप्रभु देश होता है, जिसमें वैश्विक रूप से प्रभाव डालने की क्षमता हो. महाशक्ति बनने के लिए समाज में मजबूती और गतिशीलता जरूरी है. एक प्रगतिशील समाज नयी सोच व परोपकार की प्रवृति के लिए जाना जाता है.
सड़क पर कचरा पड़ा हो, तो प्रगतिशील देश का नागरिक उसे उठा कर फेंक देगा, जबकि भारत में लोग बहस करेंगे, आंदोलन करेंगे, लेख लिखेंगे, धरना देंगे. लेकिन, कचरा नहीं उठायेंगे. मलेशिया यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘‘सुधार अंत नहीं है, सुधार मंजिल तक पहुंचने के लिए लंबे सफर का पड़ाव है और मंजिल है भारत का कायाकल्प.’’ स्पष्ट था कि सुधार की जरूरत है.
हमें ‘बदलाव के लिए सुधार’ करना होगा. सरकार द्वारा समाज बाहर से नहीं बदला जाता, बल्कि सांस्कृतिक रूप से अंदर से बदलता है. बदलाव एक अंदरूनी प्रक्रिया है, इसे थोपा नहीं जा सकता. उम्मीद है भारत भविष्य में एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा.
– आदित्य शर्मा, ई-मेल से