डिजिटलीकरण से लाभ
जनवितरण प्रणाली की खामियों को दूर करने के मकसद से देश के करीब 97 फीसदी राशन कार्डों के डिजिटलीकरण का काम पूरा हो चुका है. इस प्रक्रिया के तहत अब तक करीब पौने चार करोड़ फर्जी राशन कार्ड खारिज किये गये हैं. यह जानकारी खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने […]
जनवितरण प्रणाली की खामियों को दूर करने के मकसद से देश के करीब 97 फीसदी राशन कार्डों के डिजिटलीकरण का काम पूरा हो चुका है. इस प्रक्रिया के तहत अब तक करीब पौने चार करोड़ फर्जी राशन कार्ड खारिज किये गये हैं. यह जानकारी खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने दी है. गरीब परिवारों तक खाद्यान्न उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 2006 में नौ-सूत्री कार्यान्वयन योजना लागू की गयी थी.
इसके अलावा, 12वीं पंचवर्षीय योजना में भ्रष्टाचार रोकने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का आह्वान किया गया था. 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में प्रावधान किया गया था कि राज्य सरकारें और संघशासित प्रदेश प्रशासन या तो गरीब परिवारों को सीधे लाभ का हस्तांतरण करें या उचित मूल्य की दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक बिक्री मशीनें स्थापित करें. सरकार ने बीते दिसंबर में बताया था कि इन प्रयासों से विगत दो वर्षों में 4,200 करोड़ रुपये के नुकसान को रोका जा सका. हालांकि, अनुदान को खातों में भेजने की प्रक्रिया सिर्फ चंडीगढ़ और पुद्दुचेरी में चल रही है. इलेक्ट्रॉनिक यंत्र 59,500 दुकानों में लगाये गये हैं, जिन्हें इस वर्ष मार्च तक बढ़ा कर 1.5 लाख और अगले वर्ष मार्च तक 5.42 लाख करने का लक्ष्य है.
लेकिन, आधार मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार, आधार संख्या से जुड़े राशन कार्डों की संख्या में वृद्धि रसोई गैस के अनुदान, मनरेगा तथा छात्रवृत्ति योजनाओं की तुलना में बहुत कम है. अनिवार्य नहीं होने के बावजूद रसोई गैस के 67 फीसदी यानी 1.3 करोड़ उपभोक्ताओं में 69.28 लाख आधार संख्या को अपने कनेक्शन और खाते से जोड़ चुके हैं.
मनरेगा में भी डिजिटाइजेशन से फर्जी पंजीकरण कम किये गये हैं. 2014 में इस योजना में करीब 75 लाख लाभार्थी थे. दिसंबर, 2015 तक यह संख्या 51.72 लाख रह गयी थी, जिनमें से 75 फीसदी यानी 38.98 लाख आधार से अपने पंजीकरण जोड़ चुके हैं. लेकिन, आधार आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 24 लाख यानी पांच फीसदी राशन कार्ड ही आधार के साथ जुड़े हैं.
हालांकि पिछले महीने सरकार ने कहा था कि आधार से जुड़े राशन कार्डों की संख्या पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच आठ फीसदी से बढ़ कर 39 फीसदी हो गयी थी. उधर, केंद्र की पेंशन योजनाओं में भी 30 फीसदी लाभार्थी ही अपने खाते को आधार से जोड़ पाये हैं. स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार और सरकारी धन की बर्बादी पर नियंत्रण और पारदर्शिता के साथ लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया सफल हो रही है, इसलिए इसे तेज करने की जरूरत है.