आरक्षण से बढ़ा समाज में जाति विद्वेष
जातिगत आरक्षण देने के बाद से समाज में जाति विद्वेष बढ़ा है. समाज में जाति प्रथा खत्म होने के बजाय और सुदृढ़ हुई है. क्योंकि, आरक्षण का लाभ पानेवाली जातियों के नेता इस प्रथा को अनंत काल के लिए जीवित रखना चाहते हैं. जातिवादी नेता जाति आधारित वोट बैंक के लिए आरक्षण को हवा देने […]
जातिगत आरक्षण देने के बाद से समाज में जाति विद्वेष बढ़ा है. समाज में जाति प्रथा खत्म होने के बजाय और सुदृढ़ हुई है. क्योंकि, आरक्षण का लाभ पानेवाली जातियों के नेता इस प्रथा को अनंत काल के लिए जीवित रखना चाहते हैं. जातिवादी नेता जाति आधारित वोट बैंक के लिए आरक्षण को हवा देने में लगे रहते हैं. हालांकि, समाज में उच्च जाति में भी गरीब और कमजोर वर्ग हैं.
अगर देश में जातिगत आरक्षण के स्थान पर आिर्थक आधार पर आरक्षण दिया जाये, तो संभव है कि उच्च वर्ग के गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को भी फायदा होगा. वहीं दूसरी ओर, जिन वर्गों के लोगों को आरक्षण मिल रहा है, उनमें भी कई ऐसे लोग हैं, जो संपन्न होने के बावजूद आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. इसलिए जाति विशेष के स्थान पर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए.
– अवनींद्र नाथ झा, जमशेदपुर