भारत मे जनंसख्या का विस्फोट

कुछ वर्ष पूर्व सिंगापुर की सरकार घटती जनसंख्या से चिंतित थी. लेकिन, विश्व के अधिकतर देश बढ़ती जनंसख्या से भयभीत हैं. विश्व की तीव्र गति से बढ़ रही जनंसख्या से अर्थशास्त्री, शासक व समाज के प्रबुद्ध सभी चिंतित हो उठे हैं. उन्हें अाशंका है कि यदि दुनिया की जनंसख्या इसी गति से बढ़ती गयी और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2016 1:34 AM
कुछ वर्ष पूर्व सिंगापुर की सरकार घटती जनसंख्या से चिंतित थी. लेकिन, विश्व के अधिकतर देश बढ़ती जनंसख्या से भयभीत हैं. विश्व की तीव्र गति से बढ़ रही जनंसख्या से अर्थशास्त्री, शासक व समाज के प्रबुद्ध सभी चिंतित हो उठे हैं. उन्हें अाशंका है कि यदि दुनिया की जनंसख्या इसी गति से बढ़ती गयी और सारे प्राकृतिक संसाधन कम पड़ने लगेंगे, तो क्या होगा? जनंसख्या में वृद्धि ने वैश्विक स्तर पर कई समस्याओं को जन्म दिया है.
महंगाई, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी आदि इसी समस्या के स्वाभाविक परिणाम हैं. आजादी के समय भारत की जनंसख्या करीब 34 करोड़ थी, जो आज तीन गुनी से ज्यादा हो चुकी है. भारत में बढ़ती जनंसख्या का प्रभाव हमारे सामाजिक व राष्ट्रीय जीवन पर भी पड़ा है. जरूरत के मुताबिक देश में उत्पादन नहीं होने से हमारी अार्थिक योजना पिछड़ गयी है. शिक्षा, स्वास्थ व जीवन स्तर में गिरावट अायी है. अत: जनंसख्या पर नियंत्रण के लिए जनता और सरकार दोनों को उचित कदम उठाना होगा.
– अक्षय कुमार चौबे, तोपचांची

Next Article

Exit mobile version