सेना पर दाग

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की संपत्ति और कमाई की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया है. मेजर जनरल अशोक कुमार और मेजर जनरल सुरेंदर सिंह लांबा पर घूस देकर पदोन्नति पाने का आरोप है. यह पहला मौका है जब सरकार को कई पदकों से सम्मानित वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2016 6:32 AM
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की संपत्ति और कमाई की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया है. मेजर जनरल अशोक कुमार और मेजर जनरल सुरेंदर सिंह लांबा पर घूस देकर पदोन्नति पाने का आरोप है. यह पहला मौका है जब सरकार को कई पदकों से सम्मानित वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के विरुद्ध जांच का आदेश देना पड़ा है.
इनके खिलाफ पिछले साल अगस्त में ही शिकायतें आयी थीं, पर सेना ने जांच की पहल नहीं की. खबरों के अनुसार, इस प्रकरण में पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल आर भल्ला की जांच भी की जा रही है, जिनके कार्यकाल में इनकी प्रोन्नति की संस्तुति की गयी थी. सेना में प्रत्येक 100 में से तीन-चार अधिकारी ही मेजर जनरल के स्तर तक पहुंच पाते हैं.
सैन्य सेवाओं में प्रोन्नति का निर्णय सैन्य सचिव शाखा द्वारा किया जाता है, जहां आधे अंकों का हेर-फेर भी किसी अधिकारी के भविष्य को प्रभावित कर सकता है. इस शाखा के एक पूर्व प्रमुख का एक अन्य लेफ्टिनेंट जनरल के साथ सुकमा भूमि घोटाला मामले में कोर्ट मार्शल किया गया था. सेवा के प्रति समर्पण और कर्तव्यपरायणता के कारण देश में सेनाओं का बड़ा सम्मान है. अगर इसमें भ्रष्टाचार शीर्ष तक अपनी जड़ जमा पाने में सफल होता है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी. अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई में सेना की हिचक चिंताजनक है. वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई में लापरवाही पर सेना और सरकार को फटकारा भी था. ऐसे में रक्षा मंत्री की पहल सराहनीय है.
ध्यान रहे, भ्रष्टाचार के सवाल पर हाल के तीन सेनाध्यक्षों में तनातनी पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रही है. पिछले साल आगस्ता-वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद में धांधली के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी करोड़ों की संपत्ति जब्त की थी. इससे पहले 2009 में 72 अधिकारियों द्वारा मुनाफा कमाने के लिए अपने हथियार खुले बाजार में बेचने का मामला सामने आया था. पिछले साल पूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य सेवा के ठेका देने में धांधली का प्रकरण भी चर्चा का विषय बना था. आदर्श आवासीय योजना में हेराफेरी में कई सैन्य अधिकारियों की मिलीभगत भी सेना में भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है.
इनके अलावा भर्ती में घूसखोरी, सैन्य भंडारों में कदाचार तथा पदक पाने में धांधली के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं. इससे पहले कि यह बीमारी देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो, उम्मीद है कि सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के अपने वादे पर अमल करते हुए कठोर कदम उठायेगी.

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