आज भी सुरक्षित नहीं महिला

वर्ष 2012 के निर्भया कांड को तीन साल हो गये. हमें याद है कि देश भर में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुए, कड़े कानून बनाये गये. लेकिन इन सब के बावजूद महिलाओं के प्रति होनेवाले अपराध का सिलिसला कम होने के बजाय और बढ़ा है. मीडिया में आती खबरों के मुताबिक महानगरों से लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 12:47 AM
वर्ष 2012 के निर्भया कांड को तीन साल हो गये. हमें याद है कि देश भर में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुए, कड़े कानून बनाये गये. लेकिन इन सब के बावजूद महिलाओं के प्रति होनेवाले अपराध का सिलिसला कम होने के बजाय और बढ़ा है.
मीडिया में आती खबरों के मुताबिक महानगरों से लेकर छोटे शहरों, गांव, कस्बे हर जगह बलात्कार, यौन-शोषण, घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. आज हमारे समाज में महिलाओं पर होनेवाले अपराध का रूप इतना भयावह हो चुका है कि अब कोई भी स्त्री किसी भी अजनबी पुरुष पर विश्वास नहीं करती.
किसी के सामने खुद को सुरिक्षत नहीं पाती है और सबको संदेह भरी नजर से देखती है. बाहर निकलने से पहले उसे मानसिक रूप से तैयार होना पड़ता है. अगर रात हो गयी, तो अौर समस्या. घर में भी सब रहते हैं तनाव में. हजारों रुकावटें. ऐसे में आखिर कैसे बदलेगी महिलाओं की दशा?
-नूपुर रानी, गोमो

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