अंधानुकरण नहीं, अच्छी चीजें अपनायें

हम भारतीयों का पाश्चात्य देशों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है. मानें न मानें यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति के लिए खतरे की घंटी है. आज जीवन के हर क्षेत्र में न सिर्फ हम पश्चिमी देशों की नकल उतार रहे हैं, बल्कि उनकी सभ्यता-संस्कृति को अपना समझने लगे हैं. भारतीय फिल्मों में लंबे अंगरेजी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 12:48 AM
हम भारतीयों का पाश्चात्य देशों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है. मानें न मानें यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति के लिए खतरे की घंटी है. आज जीवन के हर क्षेत्र में न सिर्फ हम पश्चिमी देशों की नकल उतार रहे हैं, बल्कि उनकी सभ्यता-संस्कृति को अपना समझने लगे हैं.
भारतीय फिल्मों में लंबे अंगरेजी डायलॉग्स का चलन बढ़ता जा रहा है. फिल्मी गीतों में भी पश्चिमी धुनें हावी होती जा रही हैं. खानपान में भी विदेशी स्वाद हमारे यहां जगह बना चुका है.
फिल्म से लेकर टेलीवीजन तक में अश्लीलता घर कर चुकी है. माना कि हमें अपने दिमाग की खिड़कियां खोल कर रखनी चाहिए और अच्छी चीजों को अपनाना चाहिए, लेकिन अंधानुकरण सही नहीं होता. खास कर तब, जब आप अपनी सनातन संस्कृति के ऊपर बाहरी और पाश्चात्य संस्कृति को तवज्जो देने लगें.
-बृजकिशोर पाठक, बोकारो

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