नफरत का खात्मा नफरत से नहीं

प्रभात खबर के 29 जनवरी 2016 के विशेष अंक में दहशतगर्दी अौर इसलाम से संबंधित जो सामग्री दी गयी है, वह हिंदी में अब तक प्रकाशित सबसे तर्कपूर्ण अौर तथ्यपरक सामग्री है. इसके लिए प्रभात खबर के इस उदार मंच का हम तह-ए-दिल से अभिनंदन करते हैं. यह बड़े दुख की बात है िक अन्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 12:48 AM
प्रभात खबर के 29 जनवरी 2016 के विशेष अंक में दहशतगर्दी अौर इसलाम से संबंधित जो सामग्री दी गयी है, वह हिंदी में अब तक प्रकाशित सबसे तर्कपूर्ण अौर तथ्यपरक सामग्री है. इसके लिए प्रभात खबर के इस उदार मंच का हम तह-ए-दिल से अभिनंदन करते हैं. यह बड़े दुख की बात है िक अन्य क्षेत्रीय अखबार समय के साथ ताल िमला कर शासन और सत्ता के बहाव में बहते जाते हैं. हम यह आशा करते हैं कि ऐसे संवेदनशील विषयों पर प्रभात खबर इसी प्रकार स्पष्ट अौर तथ्यपरक विचार प्रकाशित कर हम विचलित अौर संशय में पड़े लोगों को राहत देता रहेगा.
बहरहाल, इस आयोजन के िलए हम सादिया देहलवी अौर प्रो अख्तरूल वासे का आभार व्यक्त करते हैं. ऐसा कहने के लिए हम इसलिए बाध्य हो रहे हैं कि देश अौर विश्व स्तर पर कुछ समुदायों ने इसलाम के विरुद्ध कुछ ऐसा माहौल बनाया है कि कहीं से कोई भी सकारात्मक बात नहीं आ पा रही है. कोरे संदेह के बिनाह पर मुसलमान युवाओं की गिरफ्तारियां… फिर उन्हें छोड़ देना, जिसका उल्लेख प्रो वासे ने किया है, वह आज देश की हकीकत है. किसी भी नफरत को नफरत से खत्म नहीं किया जा सकता, पर कुछ लोग ऐसा ही करना चाह रहे हैं.
हमारा मानना है कि इस देश के अन्य धर्मावलंबियों की ही तरह यहां के मुसलमान भी भारत को अपना देश, अपना घर मानते हैं. बशर्ते लोग उन्हें अपना भाई समझें और उनपर िवश्वास करें.
अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत की 25 करोड़ से ज्यादा मुसलमान आबादी इस देश के िलए बहुमूल्य सािबत हो सकती है, बशर्ते उन्हें साधन, सुविधा और सम्मान के साथ जीने का हक िमले. सिर्फ उनके खिलाफ सोचने से देश का विकास नहीं होगा.
-सेराज खान बातिश, कोलकाता

Next Article

Exit mobile version