सराहनीय फैसला

नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में आया टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) का फैसला कई मायनों में सराहनीय है. ऐसे समय में जब दुनिया के कई देशों में इस पर बहस ही चल रही है, ट्राइ ने भारत में इसे लेकर जारी असमंजस को खत्म कर दिया है. इससे जहां इंटरनेट की विभिन्न सेवाओं तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 12:49 AM

नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में आया टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) का फैसला कई मायनों में सराहनीय है. ऐसे समय में जब दुनिया के कई देशों में इस पर बहस ही चल रही है, ट्राइ ने भारत में इसे लेकर जारी असमंजस को खत्म कर दिया है. इससे जहां इंटरनेट की विभिन्न सेवाओं तक सभी भारतीयों की समान रूप से पहुंच सुनिश्चित होगी, वहीं मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम को भी भेदभाव से दूर रखा जा सकेगा.

फेसबुक की ओर से करोड़ों रुपये की लागत से चलायी गयी ‘फ्री बेसिक्स’ मुहिम को खारिज कर और इंटरनेट सेवाओं के शुल्क में भेदभाव करनेवाली कंपनियों पर जुर्माना लगाने का ऐलान करके ट्राइ ने साबित किया है कि वह किसी वैश्विक कंपनी की इच्छा के अनुरूप झुकने के लिए तैयार नहीं है. इंटरनेट आज हर किसी के दैनिक जीवन के लिए उपयोगी साबित हो रहा है. भारत में न केवल इंटरनेट उपयोग करनेवालों की संख्या 40 करोड़ से अधिक हो चुकी है, बल्कि इसकी जरूरत और उपयोगिता उन लोगों के लिए भी है, जो अभी इससे नहीं जुड़े हैं.

ऐसे समय में, जब देश में मनरेगा से लेकर छात्रवृत्ति तक तमाम कल्याणकारी योजनाओं को ऑनलाइन भुगतान से जोड़ा जा रहा है, उच्च शिक्षा के किसी कोर्स में प्रवेश से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं और नौकरियों तक के आवेदन ऑनलाइन स्वीकार किये जा रहे हैं, अलग-अलग वेबसाइट तक पहुंच के लिए अलग-अलग शुल्क होने के खतरों की कल्पना आसानी से की जा सकती है. जाहिर है, इंटरनेट की समान सेवाओं और तरीकों के लिए शुल्क की व्यवस्था में किसी तरह के भेदभाव पर लगाम लगा कर ट्राइ ने हर नागरिक के लिए अवसर और अभिव्यक्ति की समानता को मंजूरी दी है.

फेसबुक की ओर से जिसे ‘फ्री बेसिक्स’ कहा जा रहा है, असल में वह कुछ खास वेबसाइट्स तक लोगों की पहुंच मुफ्त या आसान बना कर, इंटरनेट की बाकी दुनिया यानी अन्य लाखों जरूरी वेबसाइट्स तक उसकी पहुंच को महंगा या बाधित कर सकता था. इससे भारत जैसे विशाल देश में डिजिटल विभाजन को बढ़ावा मिलना तय था.

लेकिन, ट्राइ के फैसले के बाद अब टेलीकॉम कंपनियां ऐसे किसी भेदभाव के बिना, इंटरनेट उपयोग के लिए प्रतिस्पर्धी दरों की घोषणा कर सकेंगी, जिसका सबसे बड़ा फायदा आनेवाले समय में आम उपभोक्ताओं को ही होगा. यह इंटरनेट माध्यम की तटस्थता और आजादी के समर्थकों के लंबे संघर्ष से हासिल बड़ी जीत है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए. उम्मीद है, भारत का यह फैसला कई अन्य देशों में भी असमंजस खत्म करने में मददगार होगा.

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