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व्यवस्था पर माफिया राज कायम
हमारे देश की व्यवस्था के कोने-कोने में माफिया राज कायम है. कोयला माफिया, रेत माफिया, पत्थर माफिया, खनिज माफिया, शिक्षा माफिया और सरकारी-ठेका माफिया आदि न जाने कितने तरह के माफिया हैं हमारे देश में. इसकी शुरुआत 1970-80 के दशक में रेलवे के स्क्रैप और ठेकेदारी को लेकर कुछ गिरोहों के बीच र्वचस्व की लड़ाई […]
हमारे देश की व्यवस्था के कोने-कोने में माफिया राज कायम है. कोयला माफिया, रेत माफिया, पत्थर माफिया, खनिज माफिया, शिक्षा माफिया और सरकारी-ठेका माफिया आदि न जाने कितने तरह के माफिया हैं हमारे देश में. इसकी शुरुआत 1970-80 के दशक में रेलवे के स्क्रैप और ठेकेदारी को लेकर कुछ गिरोहों के बीच र्वचस्व की लड़ाई से हुई.
उसी समय कोयले के राष्ट्रीयकरण से धनबाद और झरिया के पुराने निजी खान मालिकों के बाहुबली और लठैत, जो मजदूरों और उनके नेताओं से निबटते थे, माफिया बन गये. सरकार द्वारा इन पर नकेल कसने की कोशिशों से भी तेजी से इनका लगातार बढ़ना चिंताजनक है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में ऐसे सैकड़ों अपराधी जेल में गये, जिनमें कई बड़े माफिया भी शामिल थे. इनका इतिहास बहुत लंबा है और यह सब नेता और नौकरशाहों की शह पर ही टिका है. व्यवस्था को इनसे मजबूती से लड़ना होगा.
– भोलानाथ सिंह, बोकारो
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