अनेकता में एकता भारत की विशेषता

लोग बेकार में अपना राजनीतिक वजूद कायम रखने के लिए तर्क-कुतर्क गढ़े जा रहे हैं. लेकिन वे भूल रहे हैं कि देश की गरिमा और संप्रभुता से यह तात्कालिक समझौता आनेवाले खौफनाक मंजर की दस्तक है. संभल जाओ, देश के तथाकथित रहनुमाओं. दलगत संकीर्ण मानसिकता से इतर देशहित में सोचो जरा. कहीं देर ना हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2016 1:36 AM
लोग बेकार में अपना राजनीतिक वजूद कायम रखने के लिए तर्क-कुतर्क गढ़े जा रहे हैं. लेकिन वे भूल रहे हैं कि देश की गरिमा और संप्रभुता से यह तात्कालिक समझौता आनेवाले खौफनाक मंजर की दस्तक है.
संभल जाओ, देश के तथाकथित रहनुमाओं. दलगत संकीर्ण मानसिकता से इतर देशहित में सोचो जरा. कहीं देर ना हो जाये. किसी को कश्मीर की आजादी चाहिए, कोई पंजाब में आजादी चाहता है़ मेरे दोस्तों, सबसे पहले अपने देश भारत को मिली आजादी को सहेजकर रखना सीख लो. इतने वर्षों के बाद भी अकारण अलगाववादी ताकतों को प्रश्रय देते हो. समाज हित में अपनी ऊर्जा लगाओ. सबका कल्याण होगा तभी. देश एक था, एक है और यह हमेशा एक ही रहेगा.
– मनीष सिंह, आदित्यपुर

Next Article

Exit mobile version