Advertisement
नया प्रखंड बनने से फायदा किसे?
झारखंड सरकार द्वारा बोकारो जिले में चार नये प्रखंडों – माराफारी, पिंडराजोरा, चतरोचट्टी और तेलो के सृजन किये जाने संबंधी प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहता हूं. हम में से अधिकांश लोग यह भलीभांति जानते हैं कि नये प्रखंडों की मांग क्षेत्र की जनता को सम्यक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता […]
झारखंड सरकार द्वारा बोकारो जिले में चार नये प्रखंडों – माराफारी, पिंडराजोरा, चतरोचट्टी और तेलो के सृजन किये जाने संबंधी प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहता हूं. हम में से अधिकांश लोग यह भलीभांति जानते हैं कि नये प्रखंडों की मांग क्षेत्र की जनता को सम्यक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है.
लेकिन इसके अलावा और भी कई आयाम होते हैं, जिन पर अमूमन गौर नहीं किया जाता.यहां यह जानना जरूी है कि महज चार-छः पंचायतों के लिए एक नये प्रखंड को सृजित किये जाने के साथ ही प्रखंड स्तर के अनेक राजपत्रित व अराजपत्रित पदों का भी सृजन होता है, जो काफी बड़ा वित्तीय बोझ का भी कारण बनता है.
इससे क्षेत्र के लिए योजना मद की तुलना में गैर योजना मद हेतु खजाने का दोहन अधिक होगा. बहरहाल, अगर जनता की मांगें जायज हैं या क्षेत्र की परिस्थितिजन्य दुर्गमता के कारण विकास कार्यों में बाधाएं खड़ी हो रही हों या की जा रही हों तो इसके लिए पंचायत स्तर पर निरंतर कैंप कर योजनाओं का क्रियान्वयन करना ही काफी है. लेिकन इससे कुछ तथाकथित नेताओं की राजनीति चमक नहीं सकती, इसलिए जोर-शोर से नये प्रखंड के निर्माण पर ही आंदोलन चलाये जाने लगे हैं.
आज स्थिति यह है कि राज्य के सरकारी अमलों में व्याप्त घूसखोरी व भ्रष्टाचार के कारण वार्षिक बजट का मात्र 35% हिस्सा ही खर्च हो पाता है. दूसरी ओर यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान प्रखंडों में ही कर्मियों की घोर कमी रहने के कारण योजनाओं को लागू किया जाना मुमकिन नहीं हो रहा है. ऐसे में नये प्रखंडों के सृजन से अधिक महत्वपूर्ण है कार्यसंस्कृति में बदलाव लाना.
– महादेव डुंगरिआर, तालगड़िया
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement