सचिन को सचिन ही रहने दें
यह स्थापित विचार है कि ‘भारत रत्न’ उसी को मिले जिसने भारत को अपनी कर्मभूमि मान कर कोई अत्यंत उल्लेखनीय कार्य किया हो. इस खांचे में क्या सचिन फिट बैठते हैं, यह सवाल उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजे जाने के बाद भी उठ रहा है. ऐसा लगता है कि इस सम्मान के वाजिब हकदार […]
यह स्थापित विचार है कि ‘भारत रत्न’ उसी को मिले जिसने भारत को अपनी कर्मभूमि मान कर कोई अत्यंत उल्लेखनीय कार्य किया हो. इस खांचे में क्या सचिन फिट बैठते हैं, यह सवाल उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजे जाने के बाद भी उठ रहा है.
ऐसा लगता है कि इस सम्मान के वाजिब हकदार और भी थे, पर सचिन के लिए विशेष प्रावधान किये गये. यह सही है कि वह बस एक खिलाड़ी हैं और रिकार्डो के रिकार्ड हैं. लेकिन क्या वे एकनिष्ठ होकर केवल भारत की जीत को लक्ष्य मान कर खेलते थे? इस हिसाब से कई खिलाड़ी उनसे कई मील आगे हैं.
शतरंज के महारथी विश्वनाथन आनंद का योगदान भी कम तो नहीं है. विज्ञापन कर अपार धन कमाना और सबसे बढ़ कर अपने दोहरे शतक का मौका छूट जाने पर कप्तान की सार्वजनिक आलोचना करना आदि सचिन को छोटा भी बनाते हैं.
डॉ हेम श्रीवास्तव, बरियातू, रांची