अब राज्यों में मजबूत लोकायुक्त भी जरूरी

साल-दर-साल घोटालों के नये रिकॉर्ड से रू-ब-रू होते भारतवासियों के लिए यह निश्चित रूप से खुश होने का मौका है. भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए लोकपाल का करीब साढ़े चार दशक लंबा इंतजार बस खत्म ही होनेवाला है. समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा 2011 में शुरू मुहिम को देशव्यापी जनसमर्थन, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2013 5:10 AM

साल-दर-साल घोटालों के नये रिकॉर्ड से रू-ब-रू होते भारतवासियों के लिए यह निश्चित रूप से खुश होने का मौका है. भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए लोकपाल का करीब साढ़े चार दशक लंबा इंतजार बस खत्म ही होनेवाला है.

समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा 2011 में शुरू मुहिम को देशव्यापी जनसमर्थन, हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों और गत नौ दिनों से अन्ना के अनशन के दबाव में प्रमुख दलों का रवैया बदला और लोकपाल बिल कुछ संशोधनों के साथ राज्यसभा में मंगलवार को पारित हो गया. अगले ही दिन लोकसभा ने भी संशोधित बिल को आधे घंटे के अंदर पास कर दिया. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह कानून का रूप ले लेगा.

हालांकि, जनलोकपाल की मांग के साथ शुरू हुए अन्ना आंदोलन के दबाव में सरकार ने दिसंबर, 2011 में सदन के मत के तौर पर जो तीन प्रस्ताव पास कराये थे, उन्हें आंशिक रूप से ही पूरा किया गया है.

सदन ने निचली नौकरशाही को लोकपाल में शामिल करने, लोकपाल के तहत ही राज्यों में लोकायुक्त का गठन और सिटिजन चार्टर को लोकपाल का हिस्सा बनाने का मत दिया था, पर जो बिल पास हुआ है, उसमें सिटिजन चार्टर तो नहीं ही शामिल किया गया है, लोकायुक्त को भी लोकपाल से अलग कर राज्यों को उसके गठन के लिए एक साल का वक्त दे दिया गया है. सीबीआइ को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया गया है, पर सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया पहले से बेहतर होने की उम्मीद है. वैसे खुद अन्ना ने यह बिल पास होने पर खुशी का इजहार करते हुए अनशन खत्म कर दिया है.

इसलिए अब ऐसी बहस में उलझना गैरजरूरी होगा कि इस बिल से भ्रष्टाचार कितने फीसदी कम होगा. अब हमें इससे आगे की सोचनी चाहिए. न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगानेवाले अन्य बिलों के कानून बनने का रास्ता साफ होना चाहिए, बल्कि राज्यों में मजबूत लोकायुक्त के गठन के लिए भी ठोस प्रयास होना चाहिए. जिन राज्यों में लोकायुक्त पहले ही नियुक्त हो चुके हैं, वहां भी इस कानून की समीक्षा की जानी चाहिए.

साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश की जनाकांक्षा का सम्मान करते हुए लोकपाल के कदमों को धरातल पर सहयोग देने के लिए भी देश के राजनीतिक तबके को इच्छाशक्ति के साथ तैयार हो जाना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version