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आतंकवाद की गिरफ्त में युवा पीढ़ी

बेशुमार बदहालियों से जूझते पिछड़े और विकासशील देशों के अलावा अति विलासिता से लदे समृद्ध देश भी आतंकवाद की मजबूत गिरफ्त में हैं. विश्व महाशक्ति अमेरिका भी इसका अपवाद नहीं रहा. भारत सहित दक्षिण एशियाई देश तो इसमें लगातार झुलस ही रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता की बात जो उभर कर आ रही है, वह […]

बेशुमार बदहालियों से जूझते पिछड़े और विकासशील देशों के अलावा अति विलासिता से लदे समृद्ध देश भी आतंकवाद की मजबूत गिरफ्त में हैं. विश्व महाशक्ति अमेरिका भी इसका अपवाद नहीं रहा. भारत सहित दक्षिण एशियाई देश तो इसमें लगातार झुलस ही रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता की बात जो उभर कर आ रही है, वह है युवाओं का आतंकवाद के प्रति आकर्षण.
शिक्षित बेरोजगार युवक आतंकियों के बहलावे में फंस रहे हैं. गरीब अशिक्षित युवकों एवं युवतियों को नौकरी का झांसा देकर उन्हें आतंकवाद के चंगुल में फंसाया जा रहा है. बेबसी, बेराजगारी, अशिक्षा और हताशा के गर्त में आकर युवा आतंकवादी संगठनों से जुड़ रहे हैं. युवाओं को धर्म, संप्रदाय और जाति के नाम पर भड़काया जाता है.
पाकिस्तान, इजरायल, सीरिया, सऊदी अरब, इराक और अफगानिस्तान जैसे देशों में बच्चों को जिहाद के नाम पर आतंकवादी ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि संपूर्ण विश्व को दहलाया जा सके. फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर आदि सोशल साइट्स के माध्यम से आतंकी कैंपों की तसवीरें पोस्ट की जाती हैं, ताकि दुनिया भर के युवाओं तक वे आसानी से पहुंच सकें, उन्हें गुमराह कर सकें. आतंकवाद के चंगुल से युवाओं को निकालने के लिए सरकार को भी सजग होना होगा. संपूर्ण विश्व में जो आतंकवाद विरोधी कानून बनाये गये है, उनका सख्ती से पालन जरूरी है.
देश व संपूर्ण विश्व में गरीबी, अशिक्षा, बेराजगारी और सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करके ही आतंकवाद की गिरफ्त से युवाओं को सुरक्षित निकाला जा सकता है. आतंक से निबटने के लिए दुनिया के सभी छोटे-बड़े देशों को एकजुट हो जाना चाहिए, क्योंकि यह चुनौती किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति की है.
-चंद्रशेखर कुमार, खलारी, रांची

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