सब समझने लगी है जनता

वर्तमान में समाज के अंदर हो रहे ध्रुवीकरण की कलई खुलने लगी है. ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ की आड़ में धर्म के आधार पर दीवार खड़ी करना, जनता समझने लगी है. मतदाताओं ने दिल्ली व बिहार में हुए चुनाव समेत कई राज्यों के स्थानीय चुनावो में अपना जवाब दे दिया है. इसलिए अब देश प्रेम बनाम देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2016 6:45 AM
वर्तमान में समाज के अंदर हो रहे ध्रुवीकरण की कलई खुलने लगी है. ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ की आड़ में धर्म के आधार पर दीवार खड़ी करना, जनता समझने लगी है. मतदाताओं ने दिल्ली व बिहार में हुए चुनाव समेत कई राज्यों के स्थानीय चुनावो में अपना जवाब दे दिया है. इसलिए अब देश प्रेम बनाम देश द्रोही का खेल चल रहा है. पहले हैदराबाद को चुना गया.
रोहित बेमुला को असामाजिक तत्व घोषित कराया गया. फिर बड़ी ही चतुराई से जेएनयू को चुन कर, भारत माता, छात्रों-शिक्षकों, पत्रकारों व आलोचकों को देश द्रोही कहना शुरू किया गया है. केंद्र भी जानता है कि कन्हैया पर हुए देश द्रोह के मुकदमे में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकता. उसका मकसद देश में एक माहौल बनाना था. लोगों का ध्यान भटकाना था, ताकि केंद्र की खामियों से आम जनों का ध्यान भंग हो.
-जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

Next Article

Exit mobile version