लोकतंत्र में मीडिया धर्म

लोकतंत्र में मीडिया का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें दो मत नहीं कि भारतवर्ष में आजादी के पश्चात मीडिया ने लोकतांत्रिक संस्थानों को बलशाली बनाने और सत्तारूढ़ दल की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाने में सराहनीय भूमिका का निर्वाह किया है. लेकिन, इसके उपरांत भी ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिनमें लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की भूमिका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2016 6:26 AM

लोकतंत्र में मीडिया का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें दो मत नहीं कि भारतवर्ष में आजादी के पश्चात मीडिया ने लोकतांत्रिक संस्थानों को बलशाली बनाने और सत्तारूढ़ दल की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाने में सराहनीय भूमिका का निर्वाह किया है. लेकिन, इसके उपरांत भी ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिनमें लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की भूमिका कहीं संदिग्ध या गरिमा के प्रतिकूल-सी लगती है.

जैसे भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास के विषय में मीडिया अपनी बहुत अच्छी भूमिका नहीं निभा पाया है. इसी तरह रचनात्मक समाचारों की अपेक्षा नकारात्मक समाचारों को मीडिया कहीं अधिक प्रमुखता से प्रकाशित करता है. मीडिया अपने धर्म से विमुख क्यों हो गया? आज इस पर मंथन करना जरूरी हो गया है. वरना लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा.

-आदित्य शर्मा, दुमका

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