गांवों में सुविधाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से श्यामा प्रसाद मुखर्जी ररबन मिशन के औपचारिक प्रारंभ की घोषणा की है. केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को गत वर्ष 16 सितंबर को मंजूरी दी थी. ‘रुरल’ (ग्रामीण) और ‘अरबन’ (शहरी) शब्दों के मेल से ‘ररबन’ शब्द रचा गया है और इस अभियान का लक्ष्य देश […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से श्यामा प्रसाद मुखर्जी ररबन मिशन के औपचारिक प्रारंभ की घोषणा की है. केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को गत वर्ष 16 सितंबर को मंजूरी दी थी.
‘रुरल’ (ग्रामीण) और ‘अरबन’ (शहरी) शब्दों के मेल से ‘ररबन’ शब्द रचा गया है और इस अभियान का लक्ष्य देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण इलाकों में आवास, बिजली, सड़क, कौशल-विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि-आधारित व्यवसाय आदि से जुड़ी शहरी सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना है, ताकि ग्रामीण विस्थापन को नियंत्रित किया जा सके. इस अभियान के तहत तीन वर्षों में 25 से 60 हजार की आबादी के करीब 300 ग्राम-समूह बनाये जायेंगे. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की 68.84 फीसदी जनसंख्या 640,867 गांवों में बसती है, जो अपने जीवन-यापन के लिए मुख्य रूप से खेती और संबंधित व्यवसायों पर निर्भर है.
देश के 236,004 गांवों की आबादी 500 से कम और 3,976 गांवों की आबादी 10 हजार से अधिक है. ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अभाव, लगातार घटती आमदनी, सूखे और बाढ़ जैसी समस्याओं तथा पिछड़ेपन के कारण पिछले कुछ दशकों से शहरों की ओर पलायन में भारी तेजी आयी है. इस वजह से शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है.
ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए गांवों का विकास बहुत जरूरी है, क्योंकि देश के औद्योगिक उत्पादन का बड़ा उपभोक्ता समूह ग्रामीण क्षेत्रों में ही है. गांवों की आर्थिक स्थिति चरमराने के कारण मांग पर नकारात्मक असर पड़ा है, जिसका एक नतीजा औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के रूप में सामने आया है.
इस संबंध में पिछली सरकार ने गांवों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ‘पुरा’ पहल की थी. इस पहल को विस्तार देकर अब इसे एक व्यापक अभियान में बदल दिया गया है. इस अभियान के लिए प्रारंभिक तौर पर 5142.08 करोड़ रुपये अनुमोदित किये गये हैं. इस अभियान को सफलीभूत करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिल-जुल कर काम करेंगी. सरकार की गंभीरता को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि आगामी बजट में आवंटन और योजना के स्तर पर इस अभियान के संबंध में महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं.
बहरहाल, यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस अभियान के तहत पहलें समयबद्ध तरीके से पूरी हों. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ चिह्नित इलाकों के निवासियों को भी इसमें जोर-शोर से भाग लेना चाहिए, ताकि समृद्ध और विकसित भारत के हमारे सपने हकीकत में बदल सकें.