Advertisement
जाट आंदोलन का संकेत!
जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि पर राजनीति शुरू से होती आयी है, जो दुर्भाग्य से आज भी जारी है. देश आरक्षण को लेकर पहले गुज्जर, पटेल और अब जाट आंदोलन को झेल रहा है. सबसे बड़ी अजीब और दुःख की बात तो यह है कि पहले आरक्षण दे दिया और फिर उसे छीन लिया, […]
जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि पर राजनीति शुरू से होती आयी है, जो दुर्भाग्य से आज भी जारी है. देश आरक्षण को लेकर पहले गुज्जर, पटेल और अब जाट आंदोलन को झेल रहा है. सबसे बड़ी अजीब और दुःख की बात तो यह है कि पहले आरक्षण दे दिया और फिर उसे छीन लिया, जो वाकई अपमान और अन्याय है.
ऐसा तो पहले किसी के साथ नहीं हुआ, जो जाटों के साथ हुआ है. इन्होंने इसकी अपील भी की और सरकार से शांतिपूर्वक तरीके से इसे हल करने की प्रतीक्षा भी की, मगर सरकार ने इसका समय रहते कोई हल नहीं निकाला.
इस कारण ऐसे हालात पैदा हो गये हैं. इसके लिए सरकार ही पूरी तरह जिम्मेवार है. यदि समय रहते इस पर गौर किया गया होता, तो यह नौबत ही नहीं आती. अन्य पिछड़ी जातियों के सर्वे में बड़ी धांधली की बू आती है. मजे की बात यह है कि जिन्हें यह मिल गया है, वे अन्य किसी को देना ही नहीं चाहते. पूरे मामले पर पुनर्विचार जरूरी है.
-वेद प्रकाश, दिल्ली
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement