सीखने की जरूरत!
सियाचिन ग्लेशियर से चमत्कारिक रूप से निकाले गये लांस नायक हनुमनथप्पा हमारे बीच नहीं हैं. अंतिम सांस तक इस वीर सैनिक ने देशभक्ति, समर्पण और जीवटता का जो परिचय दिया, वह विरले ही देखने को मिलता है. दुर्गम परिस्थितियों में भूख, प्यास, परिवार और जीवन की परवाह किये बिना भी देश की रक्षा का बीड़ा […]
सियाचिन ग्लेशियर से चमत्कारिक रूप से निकाले गये लांस नायक हनुमनथप्पा हमारे बीच नहीं हैं. अंतिम सांस तक इस वीर सैनिक ने देशभक्ति, समर्पण और जीवटता का जो परिचय दिया, वह विरले ही देखने को मिलता है.
दुर्गम परिस्थितियों में भूख, प्यास, परिवार और जीवन की परवाह किये बिना भी देश की रक्षा का बीड़ा उठाने वाले ऐसे देशभक्तों की सलामी को स्वतः ही हाथ उठ जाते हैं. विडंबना है कि हम जवानों की शहादत की कीमत नहीं समझ रहे हैं. तभी तो, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. हमें उन बहादुर जवानों से सीखने की जरूरत है, जो देश की सुरक्षा के लिए हर पल तत्पर रहते हैं.
सुधीर कुमार,दुमका