हम चाहे किसी पद पर आसीन हों, किसी भी व्यवसाय में हों, हम सबसे पहले इनसान हैं. इस नाते हममें से हर व्यक्ति की समाज के प्रति एक नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए. हम खुद गलत न करें और हमारे परिवेश में कुछ गलत हो रहा हो तो उसे उसकी कोपल-कमल अवस्था में ही समूल नष्ट कर दें, वरना वह बरगद बन कर हम सब पर गिरेगा.
सफायर के छात्र विनय के साथ अपराध हुआ, और कलेजे हम सबके दहल गये. उसमें विनय और उसके परिजनों का दु:ख ही नहीं, अपने सगे-संबंधियों के असुरक्षित वर्तमान अौर भविष्य की आशंका भी छिपी हुई है. अत: हमें एक बेहतर समाज बनाने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे अपराधों की लीपापोती न कर दी जाये.
साथ ही, हमें अपने-अपने गिरेबान में झांक कर देखना होगा कि कहीं हम भी तो कुछ गलत नहीं कर रहे हैं. अपने भय, लालच आदि से तनिक ऊपर उठ कर व्यापक हित के लिए सोचना होगा.
डॉ उषा किरण, रांची