किसी नेता आदि के विरोध प्रदर्शन में बांस, गत्ते, कागज, कपड़े और कील आदि से बने पुतले फूंकने और बीच सड़क व चौराहे पर चप्पल-जूते आदि से पीटने के कारण खुद अपने ही हाथ और कपड़े गंदे होते हैं, जो सही और सभ्य नहीं कहा जा सकता है़ इससे जनता की ही हानि होती है.
नेताओं काे कोई मतलब नहीं होता़ इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताये रास्ते पर चलते हुए शांतिपूर्वक इन नेताओं के आवासों, कार्यालयों का घेराव ही ज्यादा असरदार होगा़ ये बातें अजीब भी हैं, मगर जहां राजा अन्यायी हो, तो उसका विरोध भी कैसे गलत हो सकता है?